कृषि कानूनों पर कंगना रनौत के बयान पर बवाल, कांग्रेस हमलावर, क्या बोली भाजपा?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 25 सितम्बर 2024 (08:26 IST)
kangana ranaut controversial statement : मंडी से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें किसानों के हित में वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए। कंगना के बयान पर जहां कांग्रेस हमलावर है, वहीं भाजपा बैकफुट पर दिखाई दे रही है।
 
कंगना ने कहा कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के कारण सरकार ने उन्हें वापस ले लिया। किसान देश के विकास का एक स्तंभ हैं। मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए कानूनों को वापस लाने की मांग करें।
 
कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर रनौत का एक बिना तारीख वाला वीडियो साझा किया, जिसमें वह कथित तौर पर हिंदी में कह रही हैं, 'जो कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें वापस लाया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है। किसानों के हित में कानून वापस लाए जाएं। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए, ताकि उनकी समृद्धि में कोई रुकावट नहीं रहे।'
 
पार्टी ने कांग्रेस ने वीडियो के साथ एक पोस्ट में कहा कि किसानों पर थोपे गए तीनों काले कानून वापस लाए जाएं, यह बात भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कही है। देश के 750 से अधिक किसान शहीद हो गए, तब जाकर मोदी सरकार जागी और ये काले कानून वापस लिए गए। कांग्रेस किसानों के साथ है। ये काले कानून कभी वापस नहीं होंगे, चाहे नरेन्द्र मोदी और उनके सांसद कितनी भी कोशिश कर लें।
 
भाजपा ने बनाई बयान से दूरी : भारतीय जनता पार्टी ने कंगना रनौत की ओर से तीन कृषि कानूनों को बहाल करने की मांग वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक बयान में कहा कि उन्हें पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है। यह उनका व्यक्तिगत बयान है। 
 
तीन कानून - कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम; कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम; तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम - को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया। ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे। किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ।
Edited by : Nrapenrda Gupta

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