नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को कहा कि सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि सूर्य की उपासना करना इस्लाम धर्म के मुताबिक सही नहीं है।
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने यह भी कहा कि सरकार को इससे जुड़ा दिशा-निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।
मौलाना रहमानी ने एक बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर हमारा संविधान बनाया गया है। संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। 1 जनवरी से 7 फरवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है।
उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है, इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं। इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे। हां, यदि सरकार चाहे तो देश-प्रेम की भावना को उभारने हेतु बच्चों से राष्ट्रगान पढ़वाए।
मौलाना रह़मानी ने कहा कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना आवश्यक है। शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर, 2021 के अपने एक पत्र के माध्यम से कहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले राष्ट्रीय योगासन खेल परिसंघ ने फैसला किया है कि 1 जनवरी से 7 फरवरी, 2022 तक 75 करोड़ सूर्य नमस्कार की परियोजना चलाई जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी, 2022 को सूर्य नमस्कार पर संगीत कार्यक्रम की योजना भी है।
विहिप ने कहा- अपील को नजरअंदाज करें : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कहा कि मुस्लिम समाज को ऐसी अंधेरी गलियों में ले जाने एवं अलगाववादी भाव वाली अपील को नजरंदाज करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ऐसे नेतृत्व को बदलना चाहिए।
विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने अपने बयान में कहा कि सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को भाग नहीं लेने से संबंधित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान में जिस भाषा का प्रयोग किया गया है, वह न केवल अलगवाव का भाव पैदा करते हैं बल्कि केंद्र सरकर के प्रति नफरत का निर्माण भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शायद यह उनकी मंशा भी है। वे मुस्लिम समुदाय के हमदर्द नहीं बल्कि अपने अलगाववादी एजेंडे के माध्यम से उन्हें अंधेरी गलियों में ले जाना चाहते हैं।
सारे शरीर का करता है विकास : जैन ने कहा कि तीन तलाक के मामले में भी मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल हलफनामे में भी खतरनाक भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार एक ऐसा व्यायाम है जो सारे शरीर का विकास करता है।
विहिप के संयुक्त महामंत्री ने कहा कि ऐसे में मुस्लिम समाज से हम अपील करते हैं कि वे ऐसी मूर्खतापूर्ण बातों पर ध्यान न दें और अपने विकास के मार्ग पर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि अपने और नयी पीढ़ी के विकास के लिये अगर नेतृत्व में परिवर्तन की जरूरत है तो ऐसा करना चाहिए। मुस्लिम समाज को मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड को इस बात का अहसास कराना चाहिए कि वह उनका प्रतिनिधि नहीं है और वह केवल अपने अलगाववादी एजेंडे पर आगे चल रहा है।