Gandhi family in Lok Sabha: भारतीय राजनीति में दबदबा रखने वाले गांधी परिवार के 3 सदस्य इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ही इस बार गांधी परिवार के एकमात्र सदस्य होंगे, जो लोकसभा में नजर आएंगे। पिछली बार लोकसभा में गांधी परिवार के सदस्यों की संख्या 4 थी। मेनका गांधी और वरुण गांधी सत्ता पक्ष में थे, जबकि राहुल गांधी और सोनिया गांधी विपक्ष की भूमिका में थे।
प्रियंका बढ़ा सकती हैं गांधी परिवार की संख्या : राहुल गांधी ने इस बार उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि वे वायनाड से भी लोकसभा चुनाव जीते हैं, लेकिन उन्होंने केरल की इस सीट छोड़ने का फैसला लिया है। गांधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली से राहुल ने भाजपा के दिेनेश प्रताप सिंह को 1 लाख 67 हजार 178 वोटों से हराया था। हालांकि कांग्रेस ने वायनाड से अब प्रियंका गांधी को उतारने का फैसला किया है। यदि वे उप चुनाव में जीतकर पहुंचती (इसकी संभावना ज्यादा है) हैं तो यह संख्या बढ़कर 2 हो जाएगी। ALSO READ: UP में कांग्रेस के लिए संजीवनी बनेगा राहुल गांधी का रायबरेली सीट से सांसद बने रहने का फैसला
राज्यसभा में नजर आएंगी सोनिया गांधी : वर्तमान में गांधी परिवार की सबसे वरिष्ठ सदस्य और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी भी इस बार लोकसभा में नजर आएंगी। हालांकि वे संसद में जरूर नजर आएंगी। उन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। वे राजस्थान से राज्यसभा पहुंची हैं। सोनिया 5 बार रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। 1999 में सोनिया अमेठी से भी सांसद रह चुकी हैं। ALSO READ: वायनाड सीट छोड़ने पर बोले राहुल गांधी- मुश्किलभरा फैसला, प्रियंका ने कहा- कमी महसूस नहीं होने दूंगी
मेनका गांधी चुनाव हारीं : गांधी परिवार की दूसरी सबसे वरिष्ठ सदस्य मेनका गांधी लंबे समय बाद इस बार संसद में ही नजर नहीं आएंगी। वे सुल्तानपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं, लेकिन हार गईं। इस सीट पर सपा के रामभुआल निषान ने मेनका को 43 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि मेनका 2019 का चुनाव बहुत ही कम अंतर से जीती थीं। 1989 में मेनका ने पहला चुनाव जनता दल के टिकट पर पीलीभीत से जीता था। हालांकि इससे पहले वे अपने पति संजय गांधी के बड़े भाई राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी में चुनाव हार चुकी थीं। ALSO READ: EVM पर फिर घमासान, राहुल गांधी बोले- ब्लैक बॉक्स है, किसी को जांच की इजाजत नहीं
1991 में मेनका को फिर हार का सामना करना पड़ा। 1996 में फिर पीलीभीत से जनता दल के प्रत्याशी के रूप सफल रहीं। 1998, 1999 में वे भाजपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पीलीभीत सीट से लोकसभा पहुंचीं। 2004 में वे भाजपा में शामिल हो गईं। वे 2004 में पीलीभीत, 2009 में आंवला, 2014 में पीलीभीत और 2019 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहीं, लेकिन 2024 में उनकी विजय यात्रा पर विराम लग गया।
वरुण को नहीं मिला टिकट : चौथे और सबसे छोटे गांधी वरुण को इस बार भाजपा ने टिकट ही नहीं दिया। वरुण ने पहला चुनाव 2009 में पीलीभीत सीट से जीता था। दूसरा चुनाव 2014 में वे सुल्तानपुर से जीते। 2019 में वे फिर पीलीभीत से चुनाव जीते। जब राजनाथ सिंह भाजपा के अध्यक्ष थे तब वरुण उनकी टीम में सबसे युवा महासचिव के रूप में भी शामिल थे। हालांकि वरुण के राजनीतिक भविष्य पर फिलहाल तो प्रश्नचिह्न लग गया है। क्योंकि वे अपनी ही सरकार पर लगातार हमले करने के लिए जाने जाते हैं, ऐसे में भाजपा से आगे भी उन्हें टिकट मिलने की संभावना नहीं के बराबर है।