लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र को घेरा, सरकार ने दिया यह जवाब...

Webdunia
गुरुवार, 10 अगस्त 2023 (18:30 IST)
No confidence motion in Lok Sabha : लोकसभा में विपक्षी दलों ने मणिपुर एवं सुरक्षा स्थिति के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि देश में समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करके घृणा का माहौल पैदा किया जा रहा है और सत्तारूढ़ दल के लोग झूठी तुलनाएं करके विफलता को छिपा रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर चुप हैं। वहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मणिपुर सहित महिलाओं से जुड़े मामलों पर सरकार के संवेदनशील होने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
 
सीतारमण ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के कारण एक दशक बेकार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण भारत भविष्य की वृद्धि को लेकर सकारात्मक स्थिति में है और दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
 
निचले सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, प्रधानमंत्री सदन में नहीं आने पर अड़े हुए थे, इसलिए हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। उन्होंने कहा, यह हमारी संसदीय प्रक्रिया की ताकत है कि प्रधानमंत्री को हम सदन में लेकर आए हैं।
 
उन्होंने कहा, मणिपुर के लोगों से कम से कम एक बार मन की बात करनी चाहिए थी। चौधरी ने कहा, प्रधानमंत्री चांद से लेकर कूनो के चीता तक हर चीज पर बोलते हैं, लेकिन मणिपुर पर चुप्पी साध लेते हैं। कांग्रेस के नेता ने मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बेहद दुखद है।
उन्होंने मणिपुर में सुरक्षाबलों द्वारा बफर जोन बनाए जाने के संबंध में बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह के बयान को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि कभी तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का अपमान होता देखकर हंसने वाले आज द्रोपदी के चीरहरण की बात कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर को लेकर संवेदनशील है। उन्होंने कहा, मैं एक बात कहना चाहूंगी कि मणिपुर हो, दिल्ली हो, राजस्थान हो या देश के किसी भी हिस्से में महिलाओं के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, पूरी दुनिया में आर्थिक विषयों को लेकर संकट का समय है। आज वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति और धीमी वृद्धि दर की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3 प्रतिशत थी और विश्व बैंक ने 2023 के लिए अनुमान व्यक्त किया है कि यह 2.1 प्रतिशत रह सकती है। वित्तमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 14 बार ब्याज दर को बढ़ाया।
 
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से यूरोजोन में उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति है, वहीं जर्मनी यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा देश है और वहां भी आर्थिक संकुचन की आशंका व्यक्त की गई है। सीतारमण ने कहा कि अमेरिका और चीन बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। चीन की स्थिति को देखें तो वहां भी उपभोक्ता मांग में भारी गिरावट आई है, वहीं अमेरिका में भी पिछले दिनों शेयर बाजार में उथल-पुथल की स्थिति देखने को मिली।
 
वित्तमंत्री ने कहा, इस नजरिए से भारत की अर्थव्यवस्था को देखें, तब वर्ष 2013 में दुनिया की पांच सबसे नाजुक अर्थव्यवस्था की श्रेणी से निकलते हुए आज भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा, नाजुक एवं गिरावट वाली अर्थव्यवस्था से निकलने का कारण पिछले नौ वर्षों की नीतियां और आर्थिक सुधार रहे, जिसके कारण कोविड-19 की चुनौती के बावजूद हम इस स्थिति तक पहुंचे हैं।
 
सीतारमण ने कहा कि अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे देश (अर्थव्यवस्था) नीचे की ओर जा रहे हैं और भारत ऐसी अनोखी स्थिति में है जहां वह भविष्य की वृद्धि को लेकर सकारात्मक और आशावान है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाया और पिछले नौ वर्षों में इन चुनौतियों से निकलते हुए देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
 
कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए वित्तमंत्री ने कहा, पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में भ्रष्टाचार और सांठगांठ के पूंजीवाद के कारण पूरा एक दशक बर्बाद हो गया, लेकिन पिछले नौ वर्षों में विपरीत परिस्थिति और संकट को सुधार और अवसर में बदलने का काम किया गया।
 
जनधन योजना, आयुष्मान भारत, आवास योजना, स्वास्थ्य योजना, नल से जल योजना, शौचालय का निर्माण, मुद्रा ऋण योजना का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि संप्रग के समय जनता से कहा जाता था, काम किया जाएगा, आज हमारी सरकार में सारे काम हो रहे हैं।
वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ ‘चौकीदार’ है और दूसरी तरफ ‘दुकानदार’ है, लेकिन जब अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है तो किसी का मुंह नहीं खुलता।
 
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चर्चा का जवाब देते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए कि देश बड़ा है या फिर हिंदुत्व और (संघ विचारक) गोलवलकर की विचारधारा बड़ी है? ओवैसी ने कहा, इस देश में दो मोर्चे हैं। एक चौकीदार है और एक दुकानदार है। जब हम पर जुल्म होता है तो कोई मुंह नहीं खोलता। गृहमंत्री अमित शाह यूएपीए कानून लेकर आए तो इन दुकानदारों ने समर्थन किया।
 
ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ लगाया था। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोलने का नारा दिया था। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने कहा, दुकानदार और चौकीदार हमारी लाशों पर कब तक सियासत करेंगे? अगर आप जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तो दुकानदारी नहीं चलेगी, चौकीदार बदल जाएगा, तीसरा मोर्चा चलेगा।
 
चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के मुद्दे पर जवाब नहीं देते और राज्य में नहीं जाते। उन्होंने कहा कि जब मणिपुर की घटनाओं की बात आती है तो सत्तापक्ष के लोग राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की बात करते हैं। तृणमूल सांसद ने कहा कि मणिपुर की अलग परिस्थिति है और वहां घृणा अपराध के मामले हैं जहां दो समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है और गृहयुद्ध जैसी स्थिति है।
 
उन्होंने कहा कि क्या किसी अन्य राज्य में ऐसा देखा गया है कि हिंसा के कारण 6000 लोग विस्थापित हुए, 150 लोगों की मौत हो गई, असम राइफल्स और पुलिस के हथियार कब्जाए गए। मोइत्रा ने कहा कि ऐसा केवल मणिपुर में देखने को मिला, इसलिए झूठी तुलनाएं बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ‘डबल इंजन’ सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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