नई दिल्ली। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में दसवीं की बोर्ड परीक्षा 2018 से फिर से शुरू हो जाएगी देशभर के सभी राज्यों में दो करोड़ छात्र बोर्ड की परीक्षा में बैठते हैं जबकि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के एक लाख पंद्रह हजार छात्र बोर्ड की परीक्षा देते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं की बोर्ड की परीक्षा फिर से शुरू करने की सिफारिश की है। उनकी इस सिफारिश के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय विधिवत तरीके से निर्णय लेगा और उसके बाद 2018 से यह निर्णय लागू हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि देशभर के सभी राज्यों में दो करोड़ छात्र बोर्ड की परीक्षा में बैठते हैं जबकि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के एक लाख पंद्रह हजार छात्र बोर्ड की परीक्षा देते हैं। केवल सात लाख छात्र दसवीं की बोर्ड की परीक्षा नहीं देते थे। उन्होंने यह भी कहा कि अभिभावकों की मांगों को देखते हुए सीबीएसई ने दसवीं का बोर्ड फिर से अनिवार्य बनाए जाने का फैसला किया है ताकि छात्रों के साथ भेदभाव न हो।
जावड़ेकर ने यह भी कहा कि अगले वर्ष से नहीं बल्कि 2018 के मार्च में यह निर्णय फिर से लागू हो जाएगा। यह पूछे जाने पर कि नो डिटेंशन पॉलिसी (आठवीं तक छात्रों को फेल न करने की नीति) के बारे में सरकार ने क्या फैसला लिया है, मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि इस पॉलिसी को समाप्त करने के बारे में रिपोर्ट आ गई और केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की बैठक में भी इस पर सहमति बन चुकी है और राज्यों से भी फीडबैक प्राप्त हो चुका है तथा इसके बारे में एक कैबिनेट नोट भी तैयार हो गया है, जिसे सम्बद्ध मंत्रालयों के पास अभी भेजा जाना बाकी है और मंत्रिमंडल से इसकी मंजूरी मिलने के बाद शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन कर इसे लागू कर दिया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या संस्कृत भाषा को बोर्ड की परीक्षाओं में अनिवार्य बनाया जा रहा है? जावड़ेकर ने कहा कि सीबीएसई ने इस संबंध में जो फैसला किया है, उसके बारे में मंत्रालय ने अभी कोई विचार-विमर्श नहीं किया लेकिन सरकार कोई भी भाषा किसी पर नहीं थोपेगी। कोठारी आयोग की सिफारिशों के अनुरूप ही त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत ही स्कूलों में पढ़ाई जारी रहेगी और केवल तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में यह फॉर्मूला लागू नहीं है। (वार्ता)