नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय संविधान पीठ आज इस बात का फैसला करेगी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में संवैधानिक पीठ ने इस मसले पर 6 दिनों तक मैराथन सुनवाई की थी। जिसके बाद 2 अगस्त को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट अगर निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मानता है तो इसके बाद एक अलग बेंच गठित की जाएगी। ये बेंच आधार कार्ड और सोशल मीडिया में दर्ज निजी जानकारियों के डेटा बैंक के बारे में फैसला लेगी। मतलब साफ है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले का व्यापक असर होगा।
आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की दलील है कि बायोमीट्रिक डाटा और सूचनाएं एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है।