Maha ashtami sandhi puja time Muhurat 2023: 15 अक्टूबर 2023 रविवार से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो गया है। 22 अक्टूबर को अष्टमी और 23 अक्टूबर को नवमी रहेगी। अष्टमी के दिन संधि पूजा की जाती है। इस पूजा को करने से अष्टमी के साथ ही नवमी का फल भी मिलता है। महागौरी के साथ ही सिद्धिदात्री मां का आशीर्वाद भी मिलता है।
संधि पूजा क्या होती?
दो प्रहर, तिथि, दिन-रात, पक्ष या अयन के मिलन को संधि कहते हैं।
जैसे सूर्य अस्त हो जाता है तब दिन और रात के बीच के समय को संध्याकाल कहते हैं।
उसी तरह जब एक तिथि समाप्त होकर दूसरी प्रारंभ हो रही होती है तो उस काल को संधि कहते हैं।
इसी काल में पूजा करने को संधि पूजा करते हैं।
संधि पूजा यानी जब नवमी और अष्टमी के समय का मिलन हो रहा हो।
इस काल में संधि पूजा होती है।
संधि पूजा का समय:-
अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर 2023, रविवार को शाम को 07:58 पर समाप्त होगी। इसके बाद संधि पूजा करें।
संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं।
इसी दौरान पूजा होती है। महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है।
संधि पूजा का महत्व:-
संधि पूजा करने से अष्टमी और नवमी दोनों ही देवियों की एक साथ पूजा हो जाती है। इस पूजा का खास महत्व माना जाता है।
माना जाता है कि इस काल में देवी दुर्गा ने सुर चंड और मुंड का वध किया था। उसके बाद अगले दिन महिषासुर का वध किया था।
संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
इस काल में किया गया हवन और पूजा तुरंत ही फल देने वाला माना गया है।
संधि पूजा के समय केला, ककड़ी, कद्दू और अन्य फल सब्जी की बलि दी जाती है।
संधि काल में 108 दीपक जलाकर माता की वंदना और आराधना की जाती है।
भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।