प्रथम का सांस्कृ‍‍तिक आयोजन संपन्न

- कुबेरिनी हनुमंथप्पा

नार्थ कैरोलाईना की प्रथम शाखा ने पिछले दिनों स्थानीय कलाकारों की सहायता से एक कार्यक्रम प्रस्तु‍त किया। इस कार्यक्रम में नब्बे कलाकारों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन के जरिए 'प्रथम संस्था' के लिए धन एकत्रित किया गया।

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'रीच यानी पहुँच' नामक इस कार्यक्रम में गाँव के बाजार और उसके साथ लगे मंदिर का एक सैट लगा था, जिसमें कठपुतली का डांस दिखाने वाले आते थे और कभी एक ही राग पर कर्नाटक, हिंदुस्तानी और फिल्मी भजन गाए गए। भरतनाट्‍यम व कुचिपुड़ी नृत्य मंदिर के सम्मुख प्रस्तुत हुआ।

वाद्य यंत्रों से भारतीय शास्त्रीय, पश्‍चिमी एवं जाज संगीत से कदद्मत्दूद पेश किया जिसमें सैक्सोफोन, बाँसुरी, गिटार, कीबोर्ड, ड्रम, मृदंगम, खंजीरा और मोर्सिंग का प्रयोग किया गया। एक गाड़ी चलाई गई, जिसके सारे पात्र बच्चों ने निभाएँ। ड्राइवर से चाय वाला और यात्री तक बच्चे थे। हर तरह का मनोरंजन था- बहुत कलात्मक और सुसंस्कृत तरीके से नृत्य नाटक संदेश भी दिया गया।

प्रथम क्या है?
उल्लेखनीय है कि 'प्रथम' भारत की सबसे बड़ी‍ एक ऐसी शिक्षण संस्था है, जो यूनीसैफ की सहायता से 1994 में, अमेरिका से भारत लौटे डॉ. माधव चौहान द्वारा मुंबई के धाराव‍ी (जहाँ स्लमडॉग मिलियनेयर बनाई गई) क्षेत्र से शुरू की गई थी। पिछले पंद्रह सालों में यह अब पूरे भारत में फैल गई है। प्रथम का उद्देश्य झोपड़-पट्‍टी एवं गाँवों में रहने वाले बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देना है।

21 प्रदेशों में 3 करोड़ 10 लाख बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत लिखना एवं पढ़ना सिखाया गया है। प्रथम का मूलभूत उद्देश्य है 'हर बच्चा स्कूल जाए और लिखना-पढ़ना सी‍खे।'

साभार - गर्भनाल