श्रीनगर। विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थान वैष्णोदेवी के बेस कैम्प कटरा में रेल के पहुंचते ही जम्मू के व्यापार का तेल निकलने लगा है। हालत यह है कि पहले से ही उधमपुर में रेल पहुंचने के बाद परेशानी में डूबे जम्मू के व्यापारियों के लिए कटरा तक की रेल लाइन कोई खुशी नहीं ला रही है।
माता वैष्णोदेवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए रेल सुविधा का उद्घाटन किया गया था ताकि कटरा तक रेल पहुंचने से मुसाफिरों को कोई दिक्कत न हो
इस सुविधा से जहां यात्री खुश हैं वहीं कटरा के व्यापारियों की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है लेकिन जम्मू जाने वाले सैलानियों में कमी आ गई है, क्योंकि यात्री ट्रेन से सीधा कटरा पहुंच रहे हैं जिससे जम्मू में व्यापरियों की आमदनी में गिरावट आई है।
माना कि अभी कटरा के लिए 1 सीधी और 3 डीएमयू ट्रेनें ही चल रही हैं, पर भविष्य में इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना के चलते जम्मू तबाही की ओर बढ़ने लगा है।
श्राइन बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक रोज करीब 35 हजार श्रद्धालु कटरा पहुंच रहे हैं और सब बेहद खुश भी नजर आते हैं। पहली सुविधा किराया कम है। यहां पर 20 रुपए है, जबकि बस में 70 रुपए।
कटरा के दुकानदार से लेकर होटल वाले सारे खुश हैं, क्योंकि अब अधिकतर यात्री रेल से सीधा कटरा आ रहे हैं। पहले यात्री जम्मू से होकर आते थे तो वहां पर कई लोग रुककर आते थे जबकि अब ऐसा नहीं है।
सड़क मार्ग से कटरा आवाजाही पर असर पड़ा है। यहां की दुकानें वीरान हैं और ट्रांसपोर्ट कारोबार ठप-सा पड़ गया है। जाहिर है, कारोबारी निराश हैं लेकिन मुख्यमंत्री उन्हें भरपाई का भरोसा दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कटरा में रेल पहुंचने से जम्मू के व्यापारी घबराए हुए हैं कि उनका हाल पठानकोट की तरह न हो, हम ऐसा नहीं होने देंगे। कोई न कोई बड़ा प्रोजेक्ट लाएंगे ताकि व्यापार बढ़ सके।
ऐसा इसलिए है कि क्योंकि अभी तक वैष्णोदेवी के तीर्थस्थान पर प्रतिवर्ष आने वाले 1 करोड़ के करीब श्रद्धालुओं के लिए जम्मू ही एक सबसे बड़ा बिजनेस केंद्र था।
आंकड़ों के मुताबिक इन श्रद्धालुओं के कारण जम्मू शहर को 4 से 5 करोड़ की मासिक आय होती है। इसमें उन फौजियों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि शामिल नहीं है, जो उधमपुर की नार्दन कमान के तहत आने वाले क्षेत्रों में तैनात हैं और उन्हें अपने-अपने घरों में जाने के लिए जम्मू से ही रेल पकड़नी पड़ती है।
नतीजतन कटरा में रेल पहुंचने के साथ ही जम्मू का व्यापार डगमगा गया है। एक स्थानीय फैक्टरी मालिक मोदी, जो स्थानीय बाजार के लिए खाने-पीने की वस्तुओं का निर्माण करते हैं, के बकौल ‘कटरा में रेल पहुंचने का अर्थ है जम्मू के व्यापार को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देना।’
असल में अभी तक आने वाले 1 करोड़ श्रद्धालु जब अपने घरों को लौटते हैं तो कश्मीर की यादगार के रूप में शाल, पेपरमाशी की वस्तुएं, अखरोट, बादाम, शहद, राजमाश और केसर समेत अन्य वस्तुओं की खरीदारी जम्मू से ही इसलिए करते हैं, क्योंकि कश्मीर में जाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता।
एक अनुमान के अनुसा, प्रतिमाह इन्हीं वस्तुओं पर ही आने वाले पर्यटक तथा श्रद्धालु 2 से 3 करोड़ की राशि इसलिए भी खर्च करते हैं, क्योंकि जम्मू से ही उन्हें रेल पकड़नी होती है और यहीं से उन्हें आगे के लिए यातायात के अन्य साधनों का इस्तेमाल करना होता है।
हालांकि जम्मू के धनाढ्य समझे जाने वाले व्यापारियों ने उधमपुर तथा कटरा तक अपने व्यापार को बढ़ाने की तरकीबें दिमाग में रखकर वहां जगहें खरीदनी शुरू कर दी थीं, विशेषकर कुछेक ने तो कटरा में रेलवे स्टेशन के आसपास होटल बना लिए हैं।
लेकिन सभी लोग ऐसा नहीं कर सकते। हजारों लोगों के रोजगार पर लात मारने को तैयार कटरा तक की रेल सच में जम्मू के व्यापारियों का तेल निकालने लगी है।