औरंगाबाद। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में कुआं खोदने के काम में लगाए गए 11 मजदूरों को भागने से रोकने के लिए जंजीर में बांधकर रखा जाता था जिन्हें पुलिस ने मुक्त करा दिया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उनके अनुसार शनिवार को मुक्त कराए जाने के बाद इन मजदूरों ने अपनी दुखभरी दास्तां बताई।
मजदूरों ने बताया कि उनसे प्रतिदिन 12 घंटे काम करवाया जाता था और उन्हें कोई दिहाड़ी नहीं मिलती थी, दिन में केवल एक बार खाना दे दिया जाता था तथा शौच आदि भी उन्हें कुएं में ही करना पड़ता था। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इस सिलसिले में 2 ठेकेदारों समेत अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।
सहायक पुलिस निरीक्षक जगदीश राउत ने बताया कि 2-3 महीने पहले ठेकेदारों द्वारा इन मजदूरों को उस्मानाबाद में ढोकी थाना क्षेत्र के खामसवाड़ी और वाखरवाड़ी गांवों में कुओं की खुदाई के काम पर लगाया गया, जहां उन्हें गलत तरीके से बंधक बनाकर उनका उत्पीड़न किया जाने लगा।
उन्होंने बताया कि उन मजदूरों में एक किसी तरह वहां से भाग निकला और हिंगोली में अपने पैतृक गांव पहुंचा। वहां उसने स्थानीय पुलिस को अपने साथ हुए उत्पीड़न की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि हिंगोली पुलिस ने शनिवार को उस्मानाबाद के ढोकी में अपने समकक्षों से संपर्क किया और निर्धारित स्थान पर तलाशी लेने के लिए दल बनाए गए।
राउत ने कहा कि जब पुलिस टीम वाखरवाडी पहुंची तो वहां 5 मजदूर कुएं में काम करते हुए पाए गए। पूछताछ में उन्होंने बताया कि उनसे प्रतिदिन 12 घंटे काम करवाया जाता है और रात में उन्हें जंजीर में बांध दिया जाता है ताकि वे भाग नहीं पाएं। उन्होंने बताया कि इन पांचों श्रमिकों को मुक्त कराया गया। राउत के अनुसार मुक्त कराए गए मजदूरों ने बताया कि खामसवाडी गांव में 6 और मजदूर काम कर रहे हैं और उनकी दशा भी ऐसी ही है।
उन्होंने बताया कि खामसवाडी में इन 6 मजदूरों को भी मुक्त कराया गया। राउत ने कहा कि जब हमने इन मजदूरों से पूछताछ की तब उन्होंने बताया कि उन्हें दिन में बस एक बार भोजन दिया जाता है और कुएं में ही शौच आदि के लिए बाध्य किया जाता है। बाद में टोकरी में डालकर मल को बाहर निकाला जाता है। इन मजदूरों को प्रतिदिन सुबह 7 बजे कुएं में उतारा जाता है और 12 घंटे के काम के बाद कुएं से बाहर निकाला जाता है।
सहायक पुलिस निरीक्षक ने बताया कि मुक्त कराए गए सभी 11 मजदूरों को चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है और उन्हें घर वापस भेजने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि हम अब इस मामले की मानव तस्करी के पहलू को ध्यान में रखकर भी जांच कर रहे हैं। हमें कुछ और एजेंटों के बारे में पता चला है, जो ठेकेदारों को ऐसे श्रमिक बेच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ठेकेदार मजदूरों को एक भी पैसा नहीं देते थे, उल्टे वे उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहे थे। मजदूर से 4 महीने तक ऐसी दशा में काम कराने के बाद उसे छोड़ दिया जाता था। ऐसे में मजदूर उत्पीड़न से बचने के लिए दिहाड़ी मांगे बगैर वहां से भाग जाता था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार को ठेकेदारों संतोष जाधव एवं कृष्णा शिंदे समेत 4 लोगों को गिरफ्तार कर उन पर भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।(भाषा)