नई दिल्ली। Match-fixing in IPL केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पाकिस्तान से मिली सूचना के अधार पर वर्ष 2019 में आईपीएल मैच की कथित फिक्सिंग करने के आरोप में कुल सात संदिग्ध सट्टेबाजों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एजेंसी ने इस सबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने मामले में राष्ट्रव्यापी जांच शुरू की है और दिल्ली, हैदराबाद, जयुपर और जोधपुर में सात ठिकानों की तलाशी ली है। प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि एजेंसी को जानकारी मिली कि क्रिकेट सट्टेबाजी में संलिप्त व्यक्तियों का नेटवर्क पाकिस्तान से मिली सूचना के आधार पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के तहत होने वाले मैचों के नतीजों को प्रभावित कर रहा है।
सीबीआई ने पहली प्राथमिकी में दिल्ली के रोहिणी निवासी दिलीप कुमार और हैदराबाद के गुरुम वासु और गुरुम सतीश को आरोपी के तौर पर नामजद किया है। वहीं दूसरी प्राथमिकी में सज्जन सिंह, प्रभुलाल मीणा, राम अवतार और अमित कुमार शर्मा को को नामजद किया है। चारों राजस्थान के रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि यह गिरोह कथित तौर पर राजस्थान से काम कर रहा था और 2010 से सक्रिय था जबकि दूसरा गिरोह वर्ष 2013 से सक्रिय था। अधिकारियों ने बताया कि नेटवर्क पाकिस्तान से आने वाली जानकारी के आधार पर कार्य कर रहा था। साथ ही सट्टे के लिए प्रेरित कर जनता के साथ भी धोखा कर रहा था।
उन्होंने बताया कि गिरोह में शामिल लोगों ने अज्ञात बैंक अधिकारियों के साथ साठगांठ कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खोले थे। अधिकारियों ने बताया कि ये बैंक खाते फर्जी जानकारी के आधार पर खोले गए थे जैसे कई जन्मतिथि आदि दी गई थी। ये खाते बैंक कर्मियों की उचित जांच के बिना खोले गए।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि भारत में आम लोगों से सट्टे की गतिविधि से मिली राशि विदेश में रह रहे साथियों को भी हवाला के जरिये भेजी जाती थी। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पाया कि दिलीप कई खातों का संचालन कर रहा था और वर्ष 2013 से अब तक कुल 43 लाख रुपए आर्थिक नियमों का उल्लंघन कर घरेलू स्तर पर उसके खातों में जमा कराए गए।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने पता लगाया कि गुरुम सतीश के छह बैंक खातों में घरेलू स्तर पर 4.55 करोड़ रुपये और विदेश से 3.05 लाख रुपये वर्ष 2012-20 के बीच जमा कराए गए। इसी अवधि में गुरुम वासु के खाते में 5.37 करोड़ रुपये जमा कराए गए। सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपियों का कोई कारोबार नहीं है जो इस लेनदेन को न्यायोचित ठहरा सके।
अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान के गिरोह के बारे में सीबीआई ने पता लगाया कि वे आम लोगों से सट्टेबाजी के जरिये मिली राशि को विदेश में मौजूद अपने सहयोगियों से हवाला के जरिये साझा करते थे। उन्होंने बताया कि इनका भी काम करने का तरीका दिल्ली-हैदराबाद समूह की तरह ही था।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि राजस्थान के गिरोह में शामिल आरोपी सिंह, मीणा, राम अवतार और शर्मा एक पाकिस्तानी संदिग्ध के संपर्क में थे जिसने उनसे और भारत में कुछ अन्य अज्ञात लोगों से पाकिस्तानी फोन नंबर के जरिये संपर्क किया था।