टिकट के लिए छत्तीसगढ़ भाजपा में घमासान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा टिकटों के बंटवारे में उलझ गई है। 10 साल तक लगातार राज्य में सत्ता सुख का आनंद लेने वाली भाजपा में अगले विधानसभा चुनाव के लिए कई दावेदार पैदा हो गए हैं। कहीं स्थानीयता के आधार पर तो कहीं जातीय आधार पर टिकटों की मांग की जा रही।

वर्तमान मंत्री व विधायकों के खिलाफ विरोध के स्वर भी तेज हो गए हैं। यही वजह है कि भाजपा छत्तीसगढ़ में अभी तक अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं कर सकी है। प्रदेश चुनाव समिति की बैठक 18 अक्टूबर को होनी है। इसके बाद नामों पर विचार केंद्रीय चुनाव समिति में होगा। इसके बाद प्रत्याशी घोषित हो सकेंगे।

चुनाव में अब तक पहले प्रत्याशी घोषित करने वाली भाजपा इस बार कांग्रेस से पीछे रह गई। कांग्रेस ने अपनी पहली सूची पिछले हफ्ते ही जारी कर दी। कांग्रेस की सूची आने के बाद भाजपा ने दोबारा मंथन शुरू कर दिया है। इससे प्रत्याशी घोषित होने का कार्यक्रम आगे बढ़ गया।

छत्तीसगढ़ भाजपा के कार्यालय प्रभारी व छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष सुभाष राव का कहना है कि पिछली बार आयोग ने 14 अक्टूबर को चुनावों की घोषणा की की। उसी को ध्यान में रखकर पार्टी ने प्रत्याशी घोषणा कार्यक्रम तय किया था। लेकिन चुनाव की घोषणा 10 दिन पहले हो जाने से लोगों को लग रहा है कि भाजपा की सूची में देरी हो गई है।

लेकिन भाजपा कार्यालय में जिस तरह टिकट के दावेदार आ रहे हैं और वर्तमान विधायकों का विरोध व मुखालफत हो रही है, उसे देखकर राव की बात गले नहीं उतरती।

भाजपा में विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल, विधायक देवजी पटेल से लेकर कई दिग्गजों को फिर से उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ लोग प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंच चुके हैं। खल्लारी से राजीव अग्रवाल व अन्य किसी भी सीट से बाहरी को प्रत्याशी न बनाने की मांग भी उठने लगी है।

भाजपा में इस बार राज्य स्तर पर टिकटों का फैसला मुख्यमंत्री रमनसिंह, संगठन महासचिव सौदानसिंह व प्रदेश प्रभारी जगतप्रकाश नड्‌डा कर रहे हैं। न तो कोर ग्रुप का महत्व है और न ही प्रदेश चुनाव समिति का।

भाजपा ने इस बार करुणा शुक्ला, बलीराम कश्यप के बेटे व सांसद दिनेश कश्यप को बाहर कर दिया है। करुणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की रिश्तेदार हैं। चुनाव समिति के कई सदस्य स्वयं ही टिकट के दावेदार हैं, मसलन प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक पैकरा स्वयं सरगुजा क्षेत्र के प्रतापपुर से टिकट चाह रहे हैं।

सुभाष कश्यप, भूपेन्द्र सवन्नी, शिवरतन शर्मा, पुन्नूलाल मोहिले, मेघाराम साहू व विष्णुदेव साय टिकट के दावेदार हैं। सरोज पांडे अपने भाई राकेश पांडे को वैशाली नगर से टिकट दिलाने में भिड़ी हैं।

वैशाली नगर से इस बार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडे टिकट चाहते हैं, क्योंकि वहां बिहारियों की आबादी ज्यादा है। पिछली बार पांडे भिलाई से चुनाव हार गए थे। सरोज पांडे वैशाली नगर से हर हाल में अपने भाई को टिकट दिलाने में लगी हैं, ऐसे में प्रेमप्रकाश को भिलाई से उम्मीदवार बनने के लिए पार्टी का दबाव है।

विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक अभी बिल्हा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे बेलतरा से टिकट चाह रहे हैं। बेलतरा से बद्रीधर दीवान का टिकट कटना तय है, क्योंकि उनकी उम्र भी ज्यादा हो गई है और छवि भी ठीक नहीं है। दीवान अपनी जगह बेटे को टिकट दिलवाना चाहते हैं।

कृषिमंत्री चंद्रद्रोखर साहू की सीट बदलने की चर्चा है। उन्हें रायपुर ग्रामीण से उम्मीदवार बनाए जाने की बात चल रही है, लेकिन वे अपनी परंपरागत सीट अभनपुर छोड़ना नहीं चाहते। दिलीपसिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह चंद्रपुर सीट छोड़कर दूसरी जगह जाना चाहते हैं।

बलौदा बाजार से वर्तमान विधायक लक्ष्मी बघेल व जिला पंचायत की अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा दावेदार हैं। लक्ष्मी वर्मा ने चुनाव लड़ने की नीयत से बलौदा बाजार में सरकारी बंगला आबंटित करवा लिया है। कोंडागांव से महिला एवं बाल विकास मंत्री लता उसेंडी की जगह उसकी बहन किरण उसेंडी को प्रत्याशी बनाया जा रहा है।

भाटापारा से इस बार भाजपा किसी साहू को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में है। ऐसे में कई दावेदार निर्दलीय लड़ने के मूड में आ गए हैं। राजिम से नए चेहरे के रूप में श्वेता शर्मा का नाम चल रहा है। इसके विरोध में लोग सामने आने लगे हैं।

रायपुर उत्तर सीट से भाजपा के आधे दर्जन से दावेदार हैं, लेकिन सच्चिदानंद उपासने या फिर श्रीचंद सुंदरानी को टिकट दिया जा सकता है। जांजगीर चांपा, सक्ती समेत कई सीटों में नए चेहरे की मांग उठने लगी है।

कहा जा रहा है कि भाजपा का टिकट घोषित होने के बाद भारी बगावत के आसार हैं। कई लोग भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, ऐसे में भाजपा के लिए नई मुसीबत पैदा हो सकती है। इस बार भाजपा में क्राइसेस मैनेजमेंट की कमी भी नजर आ रही है

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