गणतंत्र दिवस पर स्कूलों व अन्य संस्थानों में विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं। कई खेल प्रतियोगिताएं, गायन, नृत्य, लेखन, चित्रकला, वाद-विवाद आदि होते हैं। सभा में मौजूद सभी लोगों को इस दिन का उद्देश्य याद दिलाने के मकसद से अक्सर आयोजन की शुरुआत स्पीच या भाषण से होती है। किसी भी आयोजन की एक अच्छी शुरुआत वहां उपस्थित दर्शकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी होती है। एक अच्छे से तैयार की गई स्पीच सभा का माहौल कार्यक्रम के लिए तैयार कर देती है।
1. अपने कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आप अपनी स्पीच बनाएं।
2. समयसीमा का ख्याल रखें।
3. आपके बाद कितने और लोगों की प्रस्तुति है, कार्यक्रम किस समयसीमा में खत्म करना है, इस बात का भी ध्यान रखें।
4. 3-4 घंटे का यदि आयोजन है तो पहले आयोजनकर्ताओं से बात करके जान लें कि आपको कितनी देर के लिए मंच दिया जा सकता है।
5. कहीं ऐसा न हो कि आपके लंबे भाषण से आयोजनकर्ताओं की बाकी की प्लानिंग बिगड़ जाए और दर्शकों का उत्साह भी बढ़ने के बजाय कम हो जाए और वे अपनी मंच पर आने की बारी का इंतजार करते रहें और अंदर ही अंदर सोचें कि कब आप बोलना बंद करेंगे ताकि कार्यक्रम आगे बढ़ सके।
6. जरूरी ये है कि आपका भाषण असरदार हो और जब आप मंच छोड़ें, तब तक लोगों को आपको और सुनने की इच्छा बची हो।
7. आपके मंच से उतरने पर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट हो, दिल में जोश और राष्ट्रभावना भरी हो और हाथों से तालियां बज रही हों।
8. भाषण चाहे छोटा-सा हो लेकिन उद्देश्यपूर्ण हो। तथ्य तो जो है, वही होंगे लेकिन आपके कहने का अंदाज जोशीला हो।
9. मुख्य बात यह भी है, कि आप चाहे जो भी कह रहे हों, पहले खुद उसे स्वीकारें, मानें, महसूस करें तभी उसे दूसरों से कहें, तब ही आपका भाषण बेहद असरदार होगा। कहते हैं न कि दिल से कही बात दिल पर लगती है। यह बिलकुल सच है।
10. अपना पहनावा आयोजन के अनुरूप रखें। इससे दर्शक आपको सुनने से पहले देखकर ही आपसे जुड़ाव महसूस करेंगे और आपकी बातों को ध्यान से सुनने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्कूल-कॉलेज ने अगर कोई ड्रेसकोड दिया हो तो वही पहनें। किसी अन्य जगह आयोजन हो, जहां ड्रेस कोड न हो तो लड़कों के लिए कुर्ता-पायजामा व नेहरू जैकेट और लड़कियों के लिए सलवार-कमीज, कुर्ती व साड़ी बेहतर चुनाव रहेगा।
तो आइए जानते हैं कि यदि आप ही अपने विद्यालय या अन्य किसी कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं, आपको बोलने का अवसर मिला है, तो आपकी एक सुनियोजित स्पीच कैसी हो? इस लेख की मदद से आप अपनी स्पीच तैयार कर सकते हैं।
मंच पर पहुंचकर आप सबसे पहले तो सभा में उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करें, अपना परिचय दें, अपना नाम तथा आप कौन-सी कक्षा में पढ़ते हैं, यह बताएं। अपने स्वयं के स्कूल के अलावा यदि किसी अन्य आयोजन में बोल रहे हैं तो अपने विद्यालय या कॉलेज का नाम भी बताएं। सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दें। अपनी क्लास टीचर व प्रिंसीपल या आयोजनकर्ता का धन्यवाद करें जिन्होंने इस महान अवसर पर आपको मंच पर आकर अपने देश के बारे में कुछ बोलने का मौका दिया।
अब आप अपनी स्पीच कुछ इस प्रकार कह सकते हैं।
आज हम सभी यहां बेहद खास अवसर पर 68वां गणतंत्र दिवस मनाने इकट्ठा हुए हैं। भारत के लिए गणतंत्र दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि गौरव और सम्मान है। यह दिवस हर भारतीय का अभिमान है, अनगिनत लोगों की कुर्बानी के बाद भारत मां को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन उसे स्वतंत्रता का आकार 26 जनवरी 1950 को मिला, क्योंकि इसी दिन हमारा संविधान लागू हुआ था।
भारत का संविधान एक लिखित संविधान है। हमारे संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
'गणतंत्र' का अर्थ है- देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और सही दिशा में देश के नेतृत्व के लिए राजनीतिक नेता के रूप में अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए केवल जनता के पास अधिकार है। इसलिए भारत एक गणतंत्र देश है, जहां आम जनता अपना नेता, प्रधानमंत्री के रूप में चुनती है। भारत में 'पूर्ण स्वराज' के लिए हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी जिससे कि हमारी आने वाली पीढ़ी को कोई संघर्ष न करना पड़े और हम देश को आगे लेकर जा सकें।
हमारे देश के महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री आदि हैं। भारत को एक आजाद देश बनाने के लिए इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। अपने देश के लिए हम इनके समर्पण को कभी नहीं भूल सकते हैं। हमें ऐसे महान अवसरों पर इन्हें याद करते हुए सलामी देनी चाहिए। केवल इन लोगों की वजह से ये मुमकिन हुआ कि हम अपने दिमाग से सोच सकते हैं और बिना किसी दबाव के अपने राष्ट्र में मुक्त होकर रह सकते हैं।
डॉ. अब्दुल कलाम ने कहा है कि अगर एक देश भ्रष्टाचार मुक्त होता है तो सुंदर मस्तिष्क का एक राष्ट्र बनता है। उनका मानना था कि 3 प्रधान सदस्य हैं, जो अंतर पैदा कर सकते हैं। वे हैं- माता, पिता और एक गुरु। भारत के एक नागरिक के रूप में हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए सभी मुमकिन प्रयास करना चाहिए। हमें जिम्मेदारी लेनी चाहिए तथा सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वॉर्मिंग, असमानता आदि से अवगत रहना चाहिए और अपने स्तर पर योगदान देना चाहिए।
गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है। फिर राष्ट्रगान गाया जाता है और 21 तोपों की सलामी होती है। 1957 में सरकार ने बच्चों के लिए 'राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार' शुरू किया था। बहादुरी पुरस्कार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र में बहादुरी के लिए दिया जाता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं। इसके बाद हमारी सेना अपना शक्ति प्रदर्शन और परेड मार्च करती है।
हर साल 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में पुरुष जवान हैरतअंगेज स्टंट दिखाते रहे हैं लेकिन इस बार महिलाएं स्टंट करेंगी। 'सीमा भवानी' नाम के इस दल की महिलाएं इस बार हैरतअंगेज स्टंट जैसे पिरामिड, फिश राइडिंग, शक्तिमान, बुल फाइटिंग, सीमा प्रहरी और अन्य हैरतअंगेज करतब दिखाने की तैयारी में हैं और ये हमारे लिए बड़े गौरव की बात है। इससे इस बात का प्रमाण मिलता है कि समाज में महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है।