हिन्दू सनातन धर्म के धर्मग्रंथ वेद और इतिहास ग्रंथ पुराण में उल्लेखित महत्वपूर्ण बातों के बारे में संक्षिप्त में अंकों के माध्यम से बताए जा सकने वाले प्रमुख क्रम की जानकारी, जिसे जानकर हो सकता है कि आपका भ्रम दूर हो। इस बार पढ़िए 6 से 10 तक के अंकों की जानकारी।
अंग 6- छ: मुक्ति : 1) सार्ष्टि (ऐश्वर्य), (2) सालोक्य (लोक की प्राप्ती), (3) सारूप (ब्रह्म स्वरूप), (4) सामीप्य (ब्रह्म के पास), (5) साम्य (ब्रह्म जैसी समानता), (6) लीनता या सामुज्य (ब्रह्म में लीन हो जाना)। ब्रह्मलीन हो जाना ही पूर्ण मोक्ष है। छ: शिक्षा : वेदांग, सांख्य, योग, निरुक्त, व्याकरण और छंद। छ: ऋतु : बसंत, ग्रीष्म, शरद, हेमंत और शिशिर।
अंग 7- सप्तऋषि : कष्यप, भारद्वाज, गौतम, अगस्त्य, वशिष्ट। सात छंद : गायत्री, वृहत्ती, उष्ठिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति। सात योग : ज्ञान, कर्म, भक्ति, ध्यान, राज, हठ, सहज। सात भूत : भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। सात वायु : प्रवह, आवह, उद्वह, संवह, विवह, परिवह, परावह। सात द्वीप : जम्बूद्वीप, पलक्ष द्वीप, कुश द्वीप, शालमाली द्वीप, क्रौंच द्वीप, शंकर द्वीप, पुष्कर द्वीप। सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सात लोक : भूर्लोक, भूवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, सत्यलोक। सत्यलोक को ही ब्रह्मलोक कहते है। सात समुद्र : क्षीरसागर, दुधीसागर, घृत सागर, पयान, मधु, मदिरा, लहू। सात पर्वत : सुमेरु, कैलाश, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सपेल? माना जाता है कि गंधमादन भी है। सप्त पुरी : अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका।
अंग 8- अष्ट विनायक : वक्रतुंड, एकदंत, मनोहर, गजानन, लम्बोदर, विकट, विध्नराज, धूम्रवर्ण। आठ भैरव : रुद्र, संहार, काल, असिति, क्रौध, भीषण, महा, खट्वांग। आठ योगांग : यम, नियम, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी। आठ नदी : गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, ब्रह्मपुत्र आठ वसु : अहश, ध्रुव, सोम, धरा, अनिल, अनल, प्रत्यूष और प्रभाष। (यह रहने के आठ स्थान है तथा अग्नि के आठ प्रकार भी। यह अदिति के आठ पुत्रों के नाम भी है) आठ धातु : सोना, चांदी, लोहा, तांबा, शीशा, कांसा, रांगा, पीतल। आठ प्रहर : दिन के चार और रात के चार मिलाकर आठ प्रहर होते हैं। यानि एक पहर तीन घंटे का होता है। जैसे प्रात:काल, मध्यकाल, संध्याकाल, ब्रह्मकाल आदि।
अंक 10- दस दिशा : (दस दिग्पाल), पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, वायव, नैऋत्य, आग्नेय और ईशान। दस अवतारी पुरुष : मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशु, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की। ब्रह्मा के दस मानस पुत्र : (मन से उत्पन्न) मरिचि, अत्रि, अंगिरा, पुलह, क्रतु, पुलस्य, प्रचेता, भृगु, नारद एवं महातपस्वी वशिष्ट। साधुओं के दस संप्रदाय:- 1.गिरि, 2.पर्वत, 3.सागर, 4.पुरी, 5.भारती, 6.सरस्वती, 7.वन, 8.अरण्य, 9.तीर्थ और 10.आश्रम। दस महाविद्या : काली, तारादेवी, ललिता-त्रिपुरसुन्दरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंकि और कमला।-क्रमश: