सोने से लदे फौलादी जिस्म चीथड़े चढ़े

सीमान्त सुवीर

सोमवार, 4 जून 2007 (03:48 IST)
'करोड़पति से खाकपति' बनने का ताजा उदाहरण देखना होता तो कुछ महीनों पहले आप लॉस वेगास के उस जुआघर में चले जाते, जहाँ आयरन माइक टायसन कर्ज उतारने की खातिर खुद को बेच रहे थे। 'टायसन' नाम का बॉक्सिंग सितारा आज आसमान से टूटकर पाताल में समा गया है। उनकी इस दर्दनाक हालत को देखकर हैरत होती है कि क्या वाकई जिन्दगी इतनी कठोर भी हो सकती है?

ताजा समाचार यह सुनने में आया है कि हाल ही सुधार घर से छूटकर बाहर निकले माइक टायसन भारत की जमीन पर कदम रखने वाले हैं और बॉलीवुड के जरिए हरे नोटों की गड्डियाँ कमाना चाहते हैं। माइक टायसन भारत आएँगे तो सबसे बड़ी दिक्कत उनकी सुरक्षा को लेकर होगी। उन हरकतों को कौन रोकेगा, जिस पर बात-बात में वे घूँसों की बौछार करते हैं।

विदेशियों को कम से कम यह बात समझ में आ गई है कि भारत ही वह मुर्गी है, जहाँ से आप सोने के अंडे सहजता से पा सकते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो क्रिकेट में रफ्तार के बादशाह ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली के इतने अधिक चक्कर भारत में नहीं लगते। यही नहीं, उन्होंने पार्श्व गायिका आशा भोसले के साथ अपना वीडियो एलबम निकालकर काफी सुर्खिया बटोरी है। इस वक्त वे दूसरे एलबम पर काम कर रहे हैं और उन्होंने बॉलीवुड में भी भाग्य आजमाने का ऐलान कर दिया है। शायद इसी से प्रेरणा लेकर माइक टायसन भी भारतीय फिल्मों में दिलचस्पी जगा चुके हैं।

किसी दार्शनिक ने सही कहा है कि मनुष्य ही एक मात्र ऐसा जानवर है, जो हमेशा एक गढ्ढे में दो बार गिरता है। अब आप माइक टायसन की अपनी जिन्दगी के 'नायक' या 'खलनायक' की एक छोटी सी बानगी देख लीजिए। माँ-बाप कौन थे, उन्हें ही नहीं पता था। अनाथालय में उनके पहले नाम के आगे जेरार्ड नाम किसने जोड़ा यह भी उन्हें नहीं मालूम , लेकिन आज भी वे उन्हें अपना पिता ही मानते हैं।

टायसन का बचपन बच्चों की जेल में बीता। चूँकि यह बालक अश्वेत था, इसलिए गुस्सा और नफरत उनके पूरे खून में फैली हुई थी। एक जेलर ने उनमें एक 'भावी जीनियस' देखा और उन्हें अपराध की अंधेरी गलियों से उठाकर न्यूयॉर्क के बाहरी इलाके कैट्सकिल में एक ऐसे आधे जापानी, आधे अमेरिकी मार्शल आर्ट्‌स विशेषज्ञ के पास ले गए, जो उनके जैसे कई बालकों की जिंदगी बदल चुके थे। ऐसा ही टायसन के साथ हुआ, लेकिन जब वे आज से 20 साल पहले न्यूयॉर्क के बॉक्सिंग रिंग में किसी बेकाबू सांड की तरह ट्रेवर बर्बिक की अधमरी काया के पास खड़े होकर चिल्ला रहे थे 'आई एम द चैम्पियन ऑफ द वर्ल्ड' तो उनके पिता तुल्य गुरु स्वर्ग से उन्हें देख रहे होंगे।

'कंगाल से करोड़पति' बनने का सफर टायसन ने सुपरफास्ट ट्रेन की गति से पूरा किया। टायसन को एक मुकाबला जीतने पर साढ़े तीन करोड़ डॉलर मिलते थे। वे इतने दरिया दिल थे कि 10-10 लाख डॉलर की कीमत वाली कारें, हीरे जड़ित ब्रेसलेट भिखारियों को बाँट देते थे।

उन्होंने अपने जीवन में 30 करोड़ डॉलर फूँक दिए, लेकिन, वक्त बहुत बलवान होता है। बॉक्सिंग रिंग में जीते 30 करोड़ डॉलर फूँकने वाले इन्सान के सामने जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो उन्होंने अपनी पुरानी ख्याति को नौटंकी के माध्यम से बेचने का काम शुरू कर दिया है। वे दुनिया की सबसे मशहूर नगरी लॉस वेगास पहुँच गए और रिंग में मुक्केबाजी का अभ्यास करने लगे। उस दौरान दुनिया के इस सबसे मशहूर मुक्केबाज के सामने तमाशबीन खैरात के रूप में डॉलर और चिल्लर फेंक रहे थे।

जुआघर 'अलादीन होटल' में जब टायसन अपनी नौटंकी दिखा रहे थे, तब उन्हें देखने के लिए पहले दिन कुछ 100 लोग आए, लेकिन जब उन्हें पता चला कि टायसन किसी मुकाबले की तैयारी नहीं, बल्कि कर्ज निपटाने के लिए पैसे माँग रहे हैं, तो वे वहाँ से चले गए। खुद टायसन को अपनी इस हालत पर यकीन नहीं होता। उन पर आज भी करोड़ों डॉलर का कर्जा है और उन्हें कहीं से भी पैसों का इंतजाम करना है, इसीलिए वे अपनी पुरानी ख्याति को औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं।

लॉस वेगास के नकली रिंग में अपने ऑस्ट्रेलियन ट्रेनर जैफ फ्रेनेच के साथ अभ्यास की नौटंकी करके पैसा कमा रहे हैं। लोग कैसीनों में टायसन को देखने के बजाए जुआ खेलने और जुआघर के अंदर ही बने चिड़ियाघर में शेर और डॉलफिन देखना ज्यादा पसंद कर रहे थे।

यहाँ लिखा हर शब्द हकीकत बयाँ करता है। टायसन दुनिया के सबसे युवा हैविवेट बॉक्सिंग चैम्पियन थे। उन्होंने जितना पैसा कमाया, उतना दुनिया के किसी मुक्केबाज ने (सिवाय मोहम्मद अली को छोड़) नहीं कमाया, लेकिन यह भी हकीकत है कि जितनी बदनामी टायसन ने कमाई उतनी किसी ने नहीं कमाई।

आज जो टायसन हालत है , उस पर उनको जरा भी अफसोस नहीं है, बल्कि वे कहते हैं कि मैंने एक शानदार जीवन जिया है। एक आदमी तो एक ही जिंदगी जीता है, मैं तो बचपन से अब तक 20 जिंदगियाँ जी चुका हूँ। आज मेरे पास सिर्फ एक कार है, मैंने कितनी मुफ्त में दान कर दी मुझे नहीं पता, लेकिन जिन्हें दी उनका भी आज कहीं पता नहीं। आज मैं इस दुनिया में एकदम अकेला हूँ। मुझे अपने भविष्य के बारे में कुछ पता नहीं, लेकिन कर्ज उतारने के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा, मैं करूँगा। फिर चाहे वह भारतीय फिल्मों में नायक से पिटने का सीन ही क्यों ना करना पड़े।

मुक्केबाजी की दुनिया में ऐसी महान उपलब्धि हासिल करने वाले टायसन अकेले नहीं है। माइकल और लियोन स्पिंक्स से लेकर जॉर्ज फोरमैन, जो फ्रेजियर और न जाने कितने करोड़पति से भिखारी बन गए। पैसा उनसे कभी नहीं संभला। स्पिंक्स बंधु तो ड्रग्स की भेंट चढ़ गए, जिसमें से लियान की तो मौत ही हो गई और माइकल आज सड़कों पर गत्तों के बॉक्स में सोते हैं।

बचपन अनाथालय में गुजरा : माइक टायसन का जन्म 1966 में ब्रुकलिन में हुआ। उनका बचपन एक अनाथालय में बीता। महज 11 साल की उम्र में एक महिला का पर्स चुराने के आरोप में और एक लड़के की नाक तोड़ने की वजह से वे 'बाल सुधार गृह' भेजे गए, जहाँ बिल केटन नामक एक अधिकारी ने टायसन को शेडो बॉक्सिंग करते देखा। बाल सुधार गृह की सजा पूरी होने के बाद केटन टायसन को लेकर महान कोच कूज डी अमातो के पास पहुँचे।

अमातो ने टायसन को भावी हैवीवेट चैम्पियन के रूप में तैयार किया। 1986 में टायसन ने ट्रेवर वार्षिक को हराकर 20 वर्ष की उम्र में दुनिया के सबसे युवा चैम्पियन बनने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। एक साल बाद ही उन्होंने डब्ल्यूबीएफ, डब्ल्यूबीसी और आईबीएफ के खिताब अपने नाम करते हुए खुद को सर्वकालिक निर्विवाद हैवीवेट चैम्पियन बना लिया। आज तक यह रेकॉर्ड तोड़ा नहीं जा सकता है। टायसन ने मुक्केबाज को नया रोमांच दिया है, फिर भले ही उसकी तस्वीर वीभत्स ही क्यों न हो...

माइक टायसन की शादी और बर्बादी : टायसन की मुलाकात 1988 में टीवी धारावाहिक में काम करने वाली खूबसूरत रॉबिन गिवेंस से हुई । जल्दी ही मुुलाकात मोहब्बत में बदली और उसने जल्दी ही शादी का लिबास पहन लिया। शादी का खुमार टायसन के दिलो-दिमाग से जल्दी ही उतर गया क्योंकि गिवेंस अपने साथ माँ को भी लेकर आई थी। टायसन ने खुद कहा सास ने मेरी शादी को पूरी तरह बरबादी में बदल दिया।

जब गिवेंस 8 माह की गर्भवती थी, तब उनकी माँ और टायसन के बीच बहस हुई, जिसका नतीजा यह निकला कि टायसन ने दोनों को उठाकर तीसरी मंजिल से बगीचे में फेंक दिया। दोनों बच तो गई, लेकिन बच्चा मर गया और इसी के साथ टायसन का तलाक हो गया।

इसके बाद टायसन के संबंध कई महिलाओं से रहे, लेकिन वे बरबाद होते चले गए। कर्ज ने आयरन माइक टायसन से क्या-क्या नहीं करवाया। किसी जमाने में रिंग में खूँखार नजर आने वाले टायसन आज बहुत बेबस है और हमदर्दी के पात्र बने हुए हैं। यदि भारतीय फिल्म जगत उन्हें हाथों-हाथ लेता है तो इसमें बुराई क्या है। किसी समय 'नकली कुश्ती' (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के बादशाह रहे अंडर टेकर भी तो अक्षय खन्ना के साथ एक हिन्दी फिल्म कर चुके हैं और काफी पैसा बटोर चुके हैं। टायसन को हिन्दी फिल्मों में देखकर गुजरे जमाने वालों को 'शेट्टी' की याद बरबस ताजा हो जाएगी।

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