ग़ाज़ा में हमले : फ़लस्तीनी मानवाधिकार समूहों पर लगी पाबन्दी हटाने की मांग

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शनिवार, 6 सितम्बर 2025 (16:41 IST)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रमुख फ़लस्तीनी मानवाधिकार समूहों पर थोपे गए प्रतिबन्ध, पूर्ण रूप से अस्वीकार्य हैं और इन्हें वापिस लिया जाना होगा। इस बीच, ग़ाज़ा सिटी पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित करने के लिए, इसराइली सैन्य अभियान में तेज़ी आई है, जिसमें आम नागरिक हताहत हो रहे हैं और उन सुविधा केन्द्रों पर हमले हुए हैं, जिन पर फ़लस्तीनी निर्भर हैं।

गुरूवार को इन पाबन्दियों को लगाए जाने की घोषणा की गई थी, जिसमें फ़लस्तीन के अल-हक़ समूह, मानवाधिकारों के लिए फ़लस्तीनी केन्द्र (PCHR) और मानवाधिकारों के लिए अल-मेज़न केन्द्र को निशाना बनाया गया। बताया गया है कि क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में स्थिति पर अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के कामकाज का समर्थन के सिलसिले में ये प्रतिबन्ध लगाए गए हैं। इससे पहले, जून महीने में अमेरिकी सरकार ने फ़लस्तीन में एक और ग़ैर-सरकारी संगठनों पर पाबन्दियां थोपी थीं।

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि पिछले कई दशकों से इन ग़ैर-सरकारी संगठनों ने मानवाधिकारों के क्षेत्र में अहम कार्य किया है, विशेष रूप से मानवाधिकार हनन मामलों की जवाबदेही तय करने में। यह एक अहम दायित्व है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी व मानवाधिकार क़ानूनों का व्यवस्थागत ढंग से उल्लंघन किया जा रहा है।

वोल्कर टर्क ने अमेरिका से इन प्रतिबन्धों को तुरन्त वापिस लेने का आग्रह किया है और कहा है कि इसका क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े, इसराइल में नागरिक समाज पर सुन्न कर देने वाला असर हो रहा है।

ग़ाज़ा में बदतरीन हालात : उधर, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई में तेज़ी आई है, जिससे आम लोगों और उन तक मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिशों के लिए चुनौती और बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इन हमलों में ग़ाज़ा सिटी के आसपास के इलाक़ों में विस्थापित लोगों के आश्रय स्थल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। यह इलाक़ा पहले से ही अकाल से ग्रस्त है और सैन्य कार्रवाई का दायरा बढ़ने से, पहले से ही विस्थापित लोग एक बार फिर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

OCHA ने बताया कि उत्तरी ग़ाज़ा में लोग पूरी तरह थक चुके हैं। वे दक्षिणी हिस्से की ओर जा नहीं पा रहे हैं, न केवल इसलिए कि विस्थापन स्थल अत्यधिक भरे हुए हैं, बल्कि इसलिए भी कि इस यात्रा का ख़र्च 1 हज़ार अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा हो सकता है।

इसके बावजूद 14 अगस्त से अब तक कुल मिलाकर लगभग 41 हज़ार लोग पलायन कर चुके हैं। रुकावटों के बावजूद, ग़ाज़ा में यूएन सहायता टीम ज़रूरतमन्द लोगों तक पानी, स्वच्छता और स्वास्थ सम्बन्धी राहत सहायता पहुंचा रही है।

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ख़ान युनिस स्थित अल नासेर अस्पताल में भर्ती शिशुओं और मरीज़ों के लिए अत्यावश्यक पोषण सम्बन्धी सहायता आपूर्ति वितरित की। अकाल और कुपोषण का सही ढंग से सामना करने के लिए ग़ाज़ा में काम कर रहे मानवीय संगठन लगातार बड़े पैमाने पर, सुरक्षित और निरन्तर पहुंच की मांग कर रहे हैं ताकि पर्याप्त भोजन और दवाइयां ग़ाज़ा पट्टी में प्रवेश कर सकें और ज़रूरतमन्दों तक पहुंच सकें।
Edited By: Navin Rangiyal 

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