दर्जनभर से अधिक माननीयों की प्रतिष्ठा दांव पर

संदीप श्रीवास्तव
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर व बस्ती मंडल में 7 जिले हैं जिसमें 41 विधानसभा की सीटें हैं। इन विधानसभा सीटों पर उत्तरप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय व पूर्व विधान परिषद सभापति गणेशशंकर सहित प्रदेश सरकार के मंत्री व कई पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 
गोरखपुर जिले के कैम्पियरगंज विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंह इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन थामकर चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। 
 
इसी जिले के चिल्लूपार विधानसभा से पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी बसपा छोड़ भाजपा के प्रत्याशी हैं। इसी विधानसभा से ही पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद समाजवादी व कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार हैं। पिपरई विधानसभा से पूर्व मंत्री जीतेन्द्र जायसवाल की पत्नी अनिता जायसवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। 
 
बस्ती जिले के हरैया विधानसभा सीट से प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह सपा व कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी हैं। महादेवा सुरक्षित विधानसभा से पूर्व मंत्री रामकरण आर्य सपा के प्रत्याशी हैं। जिले की कप्तानगंज विधानसभा से पूर्व मंत्री रामप्रकाश चौधरी बसपा प्रत्याशी हैं, जो कि बसपा व भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
 
महाराजगंज जिले की सिसवा विधानसभा सीट से भी पूर्व मंत्री शिवेंद्र सिंह सपा के प्रत्याशी हैं। इसी जिले के पनियरा विधानसभा से विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेशशंकर पांडेय बसपा के प्रत्याशी हैं। बस्ती मंडल के ही सिद्धार्थ नगर जिले की इटावा विधानसभा से उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय सपा व कांग्रेस से प्रत्याशी हैं व 10वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 
 
देवरिया जिले की पथरदेवा विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री सूर्यप्रताप शाही भाजपा से किस्मत आजमा रहे हैं। इसी विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी शाकिर अली चुनाव लड़ रहे हैं। कुशीनगर जिले की पडरौना विधानसभा से बसपा सरकार में पूर्व मंत्री व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार भाजपा से चुनाव मैदान में हैं। कुशीनगर विधानसभा से कैबिनेट मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी सपा-कांग्रेस गठबंधन से प्रत्याशी हैं। कुशीनगर जिले की हाता विधानसभा से राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
 
अब इन सभी उम्मीदवारों व माननीयों के लिए न्याय के देवता बने मतदाताओं को न्याय करना है कि किसकी किस्मत का सितारा चमकेगा या किसके नाम के पहले पूर्व लग जाता है? इसका तो पता 11 मार्च को ही लगेगा। 
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