Phagun's celebration in Ayodhya Dham : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (Shri Ram Janmabhoomi temple) में 500 वर्षों (500 years) के लंबे इंतजार खत्म होने के बाद प्रभु श्रीराम (Shri Ram) अयोध्या (Ayodhya) स्थित अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो चुके हैं जिसको लेकर संपूर्ण अयोध्या नगरी में रामभक्तों की धूम मची हुई है। इस होली के पावन अवसर पर खासकर अब जब रामलला (Ramlala) अपने दिव्य-भव्य स्थान में विराजमान हो चुके हैं। इसकी खुशी संपूर्ण विश्व के सनातनधर्मी व रामभक्त बड़े ही उत्साह-उमंग के साथ मना रहे हैं, वैसे ही जैसे प्रभु श्रीराम 14 वर्षों का वनवास काटकर लंका पर विजय हासिल कर अयोध्या नगरी लौटे थे।
अब तक 1.25 करोड़ से अधिक रामभक्त अयोध्या आए : 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा उनके गर्भगृह में हुई। 23 जनवरी से बराबर लाखोलाख की संख्या में रामभक्त लगातार अयोध्या आ रहे हैं। अपने रामलला का दिव्य दर्शन कर रहे हैं और अभी तक लगभग 1.25 करोड़ से अधिक रामभक्त अयोध्या आकर अपने आराध्य प्रभु रामलला के दिव्य दर्शन कर चुके हैं।
एकादशी से ही फूल व अबीर-गुलाल से होली की धूम मची : आपको बता दें कि होली के पावन पर्व पर पूरी अयोध्या नगरी में एकादशी से ही फूल व अबीर-गुलाल से होली की धूम मची है। रामभक्त हनुमानजी की सिद्धपीठ हनुमान गढ़ी सहित अनेक मंदिरों में होली के फगुआ में साधु-संत सराबोर हो चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निकट बूथ नंबर 2, जब रामलला तिरपाल में थे तो राम जन्मभूमि मंदिर को जाने का मुख्य मार्ग हुआ करता था किंतु इन दिनों श्रीराम जन्मभूमि मंदिर जाने के लिए वीआईपी दर्शन करने वाला मार्ग है।
रंगमहल मंदिर में होली की धूम : इसी रास्ते पर रंगमहल मंदिर स्थित है जिसमें चकवर्ती राजा दशरथजी के चारों पुत्र अपनी-अपनी वधू के साथ विराजमान हैं। इसमें इस बार होली का महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है, क्योंकि प्रभु श्रीराम के गर्भगृह में प्रवेश होने की खुशी के रंग ने इस रंगमहल मंदिर की होली को और रंगीन बना दिया है जिसका शुभारंभ हो चुका है। होली के रंग में रंगे हुए रामभक्त अपने प्रभु श्रीराम के लिए सोहर व फगुआ गीत गाकर उत्सव मनाने में मस्त हैं।
रंगमहल मंदिर भगवान राम के कुलदेवता श्री रंगजी महाराज का : मंदिर के महंत श्री न्यायाधीश बाबा ने 'वेबदुनिया' से खास बात करते हुए रंगमहल मंदिर की पौराणिकता के बारे में बताते हुए कहा कि यह रंगमहल मंदिर भगवान राम के कुलदेवता श्री रंगजी महाराज का है। उनके दक्षिण में रंगपाटन में चारों भाइयों का विवाह करके आए जनकपुर से, जो कि बसंत का माह था। बसंत के माह में ठाकुरजी की डोली आई और कौशल्याजी ने अपने कुलदेवता के प्रिय महल को किशोरीजी को मुंह दिखाई में दे दिया और किशोरीजी से कहा कि बेटी आई हो तो कुछ मांगलिक गीत सुनाओ, होली का पर्व है।
रंगजी के नाम से इसका नाम रंगमहल पड़ा : उन्होंने बताया कि श्री रामजी के कुलदेवता के नाम श्री रंगजी के नाम से ही आगे चलकर इसका नाम रंगमहल हो गया। उन्होंने बताया कि इसी रंगमहल में ही चारों भाई व उनकी वधुएं पहली होली साथ मिलकर खेली थीं और आज भी यहां चारों पट्टियों के नागा साधु यहां अपने पूरे समूह व दल के साथ ढोल-नगाड़े व हाथी-घोड़े के साथ होली के रंग में नाचते-गाते हुए आते हैं और होली खेलते हैं जिनका यहां भव्य स्वागत होता है।
इस वर्ष का होली उत्सव काफी खास : उन्होंने कहा कि चारों भाई अपनी-अपनी पत्नियों के साथ इस रंगमहल मंदिर में विराजमान हैं, जैसा कि अन्य जगह नहीं देखने को मिलेगा। यह बहुत ही पुरानी पीठ है। यहां अनेक उत्सव समय-समय पर मनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि होली का उत्सव वैसे तो परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष मनाया ही जाता है किंतु इस वर्ष का होली उत्सव काफी खास है, क्योंकि रामलला 500 वर्षों का इंतजार खत्म होने के बाद अपने भव्य गर्भगृह में विराजमान हुए हैं और हमारे सारे संकट व विपत्तियां दूर हो चुकी हैं। आज हम हर्ष व उल्लास के साथ व हृदय से खुश होकर भव्य होली उत्सव मना रहे हैं और रंगमहल उत्सव के नाम से जाना ही जाता है। आज हम सभी की खुशियों की पराकाष्ठा को आंका नहीं जा सकता है।
क्षत्रिय समाज के लोगों ने यहां तपस्या कर प्रण लिया था : आज इस पर्व में विशेष तौर पर अयोध्या जनपद के जानोरा ग्राम के क्षत्रिय समाज के लोगों ने यहां तपस्या कर प्रण लिया था कि प्रभु श्रीराम जब अपने गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे तो हम लोग रंगमहल में इस महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाएंगे, रामजी का सोहर गाएंगे, होली का फगवा गाएंगे, अपने प्रभु को सुनाएंगे। रंग एकादशी के दिन आज ये सभी लोग रंगमहल मंदिर में पहुंचकर प्रभु श्रीराम के रंग में मस्त होकर होली का फगवा गा रहे हैं और ढोल-मंजीरा बजा रहे हैं।
पूर्वजों का प्रण पूरा हुआ : जानोरा ग्राम क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष रिंकू सिंह ने बताया कि हम लोगों का यह प्रण पूरा हुआ कि 500 वर्षों का इंतजार खत्म कर हमारे आराध्य हमारे प्रभु अपने भवन में भव्य रूप से प्रवेश कर चुके हैं। हम सभी बड़े ही हर्षित हैं कि हमारे पूर्वजों ने जो प्रण लिया था कि जब प्रभु श्रीराम जिस दिन गर्भगृह में प्रवेश करेंगे, उस दिन रंग एकादशी उत्सव मनाएंगे, नाचेंगे-गाएंगे, खुशियां मनाएंगे। वही खुशियां अब हम मना रहे हैं।