Crew रिव्यू: क्रू की उड़ान ऊंचाई तक नहीं पहुंचती | crew movie review

समय ताम्रकर

शुक्रवार, 29 मार्च 2024 (13:19 IST)
crew movie review: बॉलीवुड में हीरोइनों को लीड रोल कम ही सौंपा जाता है। क्रू इस मामले में इसलिए अलग लगती है कि इसमें एक-दो नहीं बल्कि तीन हीरोइन, तब्बू-करीना-कृति, बिना किसी नामी हीरो के पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर उठाती हैं। उनके रोल भी ऐसे हैं जो हिंदी फिल्मों में हीरोइनों को निभाने को कम ही मिलते हैं। तीनों एअरहोस्टेस जिंदगी का भरपूर मजा लेती हैं, लेकिन तब मुश्किल में आ जाती है जब कोहिनूर एअरलाइन्स के मालिक की नीयत में खोट आ जाती है। 
 
जस्मिन बाजवा (करीना कपूर खान), दिव्या राणा (कृति सेनन) और गीता सेठी (तब्बू) को 6 महीने से सैलेरी नहीं मिलती और घर खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। तीनों गोल्ड स्मगलिंग में शामिल हो जाती हैं, लेकिन जब पता चलता है कि एअरलाइन का मालिक विजय वालिया (शाश्वत चटर्जी) सारा पैसा लेकर विदेश भागने वाला है, जिसका किरदार भगोड़े विजय माल्या से प्रेरित है, तो वे उसे सबक सिखाने का प्लान बनाती हैं। 
 
निधि मेहरा और मेहुल सूरी ने फिल्म की कहानी, स्क्रिप्ट और संवाद लिखे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्लॉट बेहतरीन है, लेकिन इस पर वे ढंग की इमारत नहीं खड़ी कर पाए। आइडिए पर वैसा स्क्रीनप्ले नहीं बन पाया जो बन सकता था। इस कहानी में कॉमेडी और थ्रिलर फिल्म बनने की भरपूर गुंजाइश थी, लेकिन निधि-मेहुल की जोड़ी स्क्रीनप्ले लिखने में मात खा गई। 

 
क्रू जैसी फिल्म से भरपूर मनोरंजन की अपेक्षा होती है, लेकिन वैसा मनोरंजन नहीं मिल पाता। फिल्म शुरु होती है, किरदारों का परिचय कराया जाता है, लेकिन इसके बाद कहानी को आगे बढ़ाने लायक सीन लेखक नहीं लिख पाए और बिना उतार-चढ़ाव के फिल्म सपाट तरीके से आगे बढ़ती है। 
 
सेकंड हाफ में फिल्म पर थ्रिलर के तत्व हावी होते हैं, जब विजय वालिया को लूटने का प्लान ये तीनों एअरहोस्टेस बनाती हैं। लेकिन यहां भी दर्शक थ्रिल महसूस नहीं कर पाते क्योंकि ये तीनों सारा काम इतनी आसानी से करती हैं कि आप हैरान रह जाते हैं। 
 
विजय वालिया और उसका स्टॉफ मूर्ख दिखाया गया है कि दिव्या-जस्मिन-गीता को कोई परेशानी नहीं होती। वे हर जगह अपनी पहचान बड़ी आसानी से बदल कर विजय वालिया तक पहुंच जाती हैं। इस वजह से ड्रामे से दर्शक जुड़ नहीं पाता। सेकंड हाफ में एक अजीब सी हड़बड़ी भी फिल्म में नजर आती है। 
 
निर्देशक राजेश कृष्णन जो 'लूटकेस' जैसी बेहतरीन कॉमिक-थ्रिलर बना चुके हैं, क्रू में वैसा कमाल नहीं दिखा पाए। उन्हें इस बार लेखकों वैसा साथ नहीं मिल पाया। राजेश अपने प्रस्तुतिकरण से दर्शकों पर पकड़ नहीं बना पाए। दो घंटे की यह फिल्म बहुत लंबी लगती है।
सीनियर क्रू के रूप में तब्बू का काम उम्दा है। मिडिल क्लास और लालच के बीच फंसी युवती के रूप में करीना कपूर खान प्रभावित करती हैं। कृति सेनन को जो भी मौका मिला उन्होंने लपक लिया। तीनों को ग्लैमरस तरीके से पेश किया गया है। छोटे रोल में दिलजीत दोसांझ छाप छोड़ जाते हैं। राजेश शर्मा, शाश्वत चटर्जी मंझे कलाकार हैं। कॉमेडी के लिए पहचाने जाने वाले कपिल शर्मा धीर-गंभीर रोल में अच्छे लगते हैं। 
 
फिल्म में एक-दो गाने उम्दा हैं, लेकिन 'चोली के पीछे' जैसे गाने का क्यों उपयोग किया गया है, समझ से परे हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक में भी यह बार-बार सुनाई देता है। 
 
क्रू एक ऐसी उड़ान है जो ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाती है।

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