मुंबई में उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां, ट्रेन चलने की अफवाह में उमड़ी हजारों की भीड़

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020 (19:20 IST)
आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरफ जहां कोरोना वायरस के खात्मे के लिए देश में लॉकडाउन को 3 मई बढ़ाने का ऐलान किया। उधर मुंबई में दिल्ली जैसी बड़ी लापरवाही सामने आई। यहां बांद्रा रेलवे स्टेशन पर एक अफवाह के चलते प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए। 

मीडिया में आई खबरों के अनुसार भीड़ में शामिल लोगों की संख्या करीब 15 हजार बताई जा रही है। पिछले दिनों दिल्‍ली के आनंद विहार बस टर्मिनल पर भी ऐसे ही हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए थे।
 
खबरों के मुताबिक मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए हैं। वे लॉकडाउन के दौरान अपने गृह क्षेत्र में लौटने की मांग कर रहे थे। मजदूरों को उम्मीद थी आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और अपने घरों को लौट जाएंगे।

गैर सरकारी संगठनों ने किया भोजन का प्रबंध : अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं।
 
तैनात किया गया भारी पुलिस बल : पीटीआई के मुताबिक पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए। अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए विरोध स्थल पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। अन्य पुलिस थानों से कर्मियों को बुलाया गया है।
 
दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।
 
मजदूरों ने बताया अपना दर्द : एक मजदूर ने अपना नाम बताए बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं लेकिन वे लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों को वापस जाना चाहते हैं क्योंकि बंद से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
 
उसने कहा कि अब, हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, हम (लॉकडाउन बढ़ाने की) घोषणा से खुश नहीं हैं।
 
पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले असदुल्लाह शेख ने कहा कि हमने लॉकडाउन के पहले चरण में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है। अब हमारे पास खाने को कुछ नहीं है, हम केवल अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
 
एक अन्य मजदूर, अब्दुल कय्युन ने कहा कि मैं पिछले कई वर्षों से मुंबई में हूं, लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। सरकार को हमें यहां से हमारे मूल स्थान पर भेजने के लिए ट्रेनें शुरू करनी चाहिए।

स्थिति नियंत्रण में : महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देखमुख का कहना है कि मंगलवार को शहर के बांद्रा स्टेशन के बाहर एकत्र हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूरों/कामगारों को संभवत: आशा रही होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य की सीमाओं को खोलने का आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें (प्रवासियों का) बता दिया है कि सीमाएं नहीं खुलेंगी और स्थिति अब नियंत्रण में है।
 
मंत्री ने कहा कि प्रवासियों को यह आश्वासन दिए जाने के बाद कि उनके रहने-खाने की व्यवस्था राज्य करेगा, भीड़ अपने-आप हट गई। देशमुख ने कहा कि मुंबई में दूसरे राज्यों से आए लाखों लोग काम करते हैं। उन्होंने आशा की थी कि प्रधानमंत्री आज सीमाएं खोल देंगे। उन्हें लगा कि वे अपने गृह राज्य वापस जा सकेंगे।

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