सर्दी-जुकाम में खूब खाएं और बुखार में भूखे रह जाएं : शोध

कहते हैं कि 'फीड ए कोल्ड, स्टार्व ए फीवर।' यानी जुकाम के समय खूब खाओ और बुखार के समय भूखे रहो। लगता है इस कहावत में कुछ दम है। भरपेट खाने और भूखे रहने का असर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर एकदम अलग-अलग होता हैं। वैसे डॉक्टर इस कहावत को ज्यादा महत्व नहीं देते।
 
एम्सटर्डम के एकेडमिक मेडिकल सेंटर में किए गए अनुसंधान से कुछ रोचक परिणाम प्राप्त हुए हैं। पता चला है कि भरपेट भोजन करने से प्रतिरक्षा तंत्र का एक पक्ष प्रेरित होता है। यह जुकाम पैदा करने वाले वायरसों का सफाया करता है, जबकि भूखे रहने से प्रतिरक्षा तंत्र का वह पक्ष सक्रिय होता है, जो बुखार के लिए उत्तरदायी बैक्टीरिया का सामना करता है।
 
सेंटर के वैज्ञानिक गिस वान डेन ब्रिन्क और उनके साथियों ने एक क्रिसमस दावत के दौरान अतिथियों के रक्त के नमूने प्राप्त किए। वे देखना चाहते थे कि क्या प्रतिरक्षा तंत्र पर अल्कोहल का कोई असर होता है?
 
पता चला कि अल्कोहल का तो कोई असर नहीं होता, लेकिन भोजन का असर अवश्य होता है। यह देखकर वैज्ञानिकों ने छह लोगों से अनुरोध किया कि वे एक रात भूखे रहें और फिर अगले दिन सुबह प्रयोगशाला में आए। इन्हीं लोगों को एक बार तरल भोजन देकर भी परीक्षण किए गए।
 
देखने में आया कि तरल भोजन के लगभग 6 घंटे बाद उनके खून में गामा इंटरफेरॉन की मात्रा सामान्य से चौगुनी हो गई थी। गामा इंटरफेरॉन उन तमाम कोशिकाओं को नष्ट करती है, जिसमें कोई विषाणु (वायरस) घुस चुका हो। यह प्रतिरक्षा मूलतः वायरसों के विरुद्ध काम करती है। लगता है कि भरपेट भोजन इसे बढ़ावा देता है।
 
दूसरी ओर, जब इन्हें सिर्फ पानी पिलाया गया तो उनमें इंटरफेरॉन की मात्रा में तो थोड़ी सी कमी आई मगर एक अन्य रासायनिक संदेशवाहक इंटरल्यूकीन-4 की मात्रा चौगुनी हो गई।
 
इंटरल्यूकीन-4 हमारी कोशिकाओं के बाहर मंडराते रोगजनक तत्वों पर हमला करता है। बैक्टीरिया आमतौर पर यही करते हैं, कोशिकाओं के बाहर टहलते रहते हैं। इनमें से कई बैक्टीरिया बुखार के कारक हैं।
 
वैसे ब्रिन्क ने चेतावनी दी कि यह एक बहुत छोटा सा अध्ययन है। लोगों को इसके आधार पर अपने तौर-तरीके बदलने की उतावली नहीं करनी चाहिए।
 
वैसे एक अन्य अध्ययन ने भी इस निष्कर्ष की पुष्टि की है। एम्सटर्डम के ही फ्री यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में किए गए इस अध्ययन में पता चला है कि ग्लूटैमीन नामक एक अमीनो अम्ल भी इंटरफेरॉन जैसी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है।
 
दूध व कुछ काष्ठ फलों में यह अमीनो अम्ल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ऐसा पाया गया है कि ग्लूटैमीन की पूरक खुराक दी जाए तो मरीज संक्रमणों से बचे रहते हैं। इससे लगता है कि मरीज को दिया वाला भोजन भी महत्व रखता है।  

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