आजादी दिल से...

जोखिम लेने के आजादी

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बीस वर्ष के आकाश कहते हैं कि उनके लिए आजादी का मतलब है, नए-नए जोखिम उठाने की आजादी। आकाश का मानना है कि हर व्‍यक्ति को अपनी जिंदगी अपने अनुसार जीने की आजादी होनी चाहिए। मुझे एडवेंचर्स पसंद है। मैं चाहता हूँ कि मुझे नए-नए एडवेंचर्स करने की आजादी मिले। साथ ही आकाश को अपने देश से बहुत प्‍यार भी है। उन्‍हें खुशी है कि आज हम आजादी की साठवीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।

मनमाफिक जीने की आजादी

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चौबीस साल के मयंक का कहना है कि उनके लिए आजादी के मायने हैं, बंधनों से मुक्‍त जीवन। वे आगे कहते हैं कि हमारी वेशभूषा, केशभूषा, खान-पान आदि सबकुछ नितांत व्‍यक्तिगत क्षेत्र हैं। लेकिन हम इन्‍हीं मामलों में आजाद नहीं हैं। उनके अनुसार व्‍यक्ति को अपने विचारों के अनुसार जीवन जीने की आजादी मिलनी चाहिए। मेरे लिए एक आजाद देश का भी यही अर्थ है कि जहाँ लोग अपने मर्जी से अपना जीवन जीने के लिए स्‍वतंत्र हों

बंधनों में सुरक्षित है आजादी
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बीस साल के प्रशांत का मानना है कि हर व्‍यक्ति आजाद है, लेकिन अपनों की खातिर यदि कुछ छोटे-मोटे बंधनों में बँधना भी पड़े तो इसमें कोई बुराई नहीं है। इससे हमारी आजादी पर आँच नहीं आती। मेरे पास ट्रैफिक सिग्‍नल तोड़कर अपनी जान को जोखिम में डालने की आजादी है, लेकिन मेरी गाड़ी से टकराकर जिसे चोट लगेगी, उसे जख्‍मी करने की आजादी मुझे नहीं है।

खुश रहने की आजादी
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अठ्ठारह साल के प्रतीक का कहना है‍कि इंसान को खुश रहने की आजादी मिलनी चाहिए। स्‍कूल, कॉलेज हो या दफ्तर हर जगह, जहाँ इंसान खुश दिखा नहीं कि लोग उसकी खुशी के कारणों की पड़ताल करना शुरू कर देते हैं। अरे, भई हमें खुश रहने की आजादी है।

मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी

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इक्‍कीस साल की स्‍मृति कहती है कि उनके लिए आजादी के मायने हैं, अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने की आजादी। अपनी बात को समझाते हुए वह आगे कहती हैं कि जिस व्‍यक्ति के साथ हमें अपनी सारी जिंदगी बीतानी है, उसे चुनने की आजादी हमें मिलनी चाहिए।


अपनी मंजिल तय करने की आजादी
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बाइस साल के तुषार कहते हैं कि कहने को तो हम आजाद हैं, लेकिन आज भी जब युवाओं के सामने उनकी मंजिल चुनने की बारी आती है तो लगता है कि मंजिल चुनने की भी हमें बहुत आजादी नहीं है। न जाने क्‍यों, हमें उन्‍हीं मंजिलों की राह दिखाई जाती है, जिनके रास्‍तों पर पूरी भीड़ दौड रही हैं। हमें मंजिल खुद तय करने की आजादी मिलनी चाहिए

रास्‍ते बनाने की आजादी
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21 वर्षीय प्रणव का मानना है कि मंजिल तय करने के साथ-साथ उस मंजिल तक किस रास्‍ते से पहुँचना है, यह चुनने की आजादी भी होनी चाहिए। हम क्‍यों हमेशा एक ही ढर्रे पर चलें। क्‍या हम अपना नया रास्‍ता नहीं बना सकते? अब समय आ गया है कि हमें अपना रास्‍ता खुद बनाने की आजादी मिले। हमारा देश सही मायनों में तभी आजाद होगा। आजादी का अर्थ भी यही है।

आजाद हो हमारी सोच
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तेईस साल के रविशंकर कहते हैं कि इंसान की सोच को आजाद होना चाहिए। वे आगे कहते हैं कि कई बार हमारी सोच ही कठिनाइयों की गुलाम बन जाती है। हम संकटों और कठिनाइयों से इतना डरते हैं कि असंभव को संभव बनाने के बारे में सोचते तक नहीं है। यह गलत है। हमारी सोच पर कोई बंधन नहीं होना चाहिए। हमें मुक्‍त होकर सोचना और सारी कठिनाइयों से लड़ने की कोशिश करनी चाहिए।