पुण्यतिथि विशेष : शहीद हेमू कालानी के आजादी के संकल्प को प्रलोभन और प्रताड़नाएं भी नहीं डिगा सकीं

shahid hemu kalani 
           
- शिव कुमार शर्मा 
                 
भारत को अंग्रेजी सरकार से आजाद कराने के लिए जिन वीर सपूतों ने अपना जीवन हार दिया, प्राणों को वार दिया, ऐसे अमर शहीदों की श्रृंखला में काल को चुनौती देने वाले शहीद हेमू कालानी (hemu kalani freedom fighter) का नाम संपूर्ण श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है। 
 
7 वर्ष की उम्र में तिरंगा लेकर अंग्रेजों की बस्ती में अपने दोस्तों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों की अगुवाई करने वाले महान देशभक्त क्रांतिवीर कालानी को अंग्रेजी सरकार द्वारा दिए गए प्रलोभन और प्रताड़नाएं भारत की आजादी के सपने के संकल्प से रंच मात्र विचलित नहीं कर सकीं। उनके जीवन का एक ही सपना था कि वे अमर शहीद भगत सिंह की तरह देश की खातिर फांसी के फंदे पर झूल जाएं। 
 
इसलिए वे अपने गले में फांसी का फंदा भी डालते तथा शहीदों को याद करते थे। वे कहते थे कि ऐसा करने पर उनके अंदर देश के लिए मर मिटने का जज्बा पैदा होता है। फांसी का समाचार सुनने के बाद उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मां मेरा सपना पूरा हुआ, अब जननी भारत को आजाद होने से कोई नहीं रोक सकता।
 
उनके जीवन का यह अपूर्व संयोग ही है कि अमर शहीद भगत सिंह, शिवराम राजगुरु एवं सुखदेव थापर की शहादत के तिथि, 23 मार्च (1923) को ही अविभाज्य भारत में सिंध प्रांत के सुक्कर जिले के सवचार में पेसूमल कालानी एवं जेठी बाई के यहां हुआ। वे न केवल अच्छे छात्र थे अपितु बहुत अच्छे तैराक, साइकिल चालक और उत्कृष्ट धावक भी थे। 
 
19 वर्ष की आयु जीवन को समझने की शुरुआत होती है, उस उम्र में देश के लिए फांसी के फंदे का वरण करना, राष्ट्र धर्म के निर्वहन का सर्वोच्च आदर्श है। शहीदों के जीवन दर्शन यह बताते हैं कि आजादी की जंग के जांबाज क्रांतिकारी योद्धा अपना मरण त्योहार मना कर स्वतंत्रता का उपहार देने के लिए ही अवतरित होते हैं। बचपन में ही उनके भीतर क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रस्फुटन हो गया था, जिसका पहला लक्षण उनकी निडरता, दूसरा खेलने-कूदने की उम्र में आजादी की गतिविधियों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना था। 
 
अंग्रेज अधिकारी जब अपने लाव लश्कर के साथ भ्रमण के लिए निकलते थे, तो लोग भयभीत होकर घरों में बंद हो जाते थे परंतु अद्भुत साहसी हेमू उन अधिकारियों पर छींटाकशी करते हुए अपने दोस्तों के साथ भयमुक्त होकर आजादी के प्रेरक गीत गाते हुए घूमते थे 'जान देना देश पर, यह वीर का काम है। मौत की परवाह न कर,  जिसका हकीकत नाम है।।'
 
किशोरावस्था में ही उनके द्वारा लोगों से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया जाना, उनकी उत्कट देशभक्ति व स्वतंत्रता प्राप्ति के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। आजादी की लड़ाई के लिए संगठित होना जरूरी था, सो वे स्वराज सेना मंडल दल का हिस्सा बने, बाद में इस दल के रीड की हड्डी बन कर अंग्रेजों के गले की हड्डी बने। 
 
ब्रिटिश सिपाहियों से उनकी मुठभेड़ होती ही रहती थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने सक्रिय क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होकर संपूर्ण सिंध प्रांत में 'करो या मरो', 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के नारों से तहलका मचा दिया था। 1942 में यह जानकारी प्राप्त हुई कि अंग्रेजी सेना की हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से गुजरेगी तो उन्होंने रेल की पटरियों की फिश प्लेट निकालने की योजना बनाई। थी तो गोपनीय परंतु नट-बोल्ट खोलते समय अंग्रेज सिपाही की नजर पड़ गई। उन्हें पकड़ लिया गया, अन्य साथियों को उन्होंने वहां से भगा दिया। 
 
उन्होंने जेल में बड़े कष्ट झेलें लेकिन दोस्तों का नाम नहीं बताया। फांसी की सजा के विरुद्ध की गई अपील को वायसराय ने इस शर्त के साथ स्वीकार किया कि हेमू कालानी अपने साथियों का नाम और पता बताएं, लेकिन उन्होंने यह शर्त अस्वीकार कर दी जिसके फलस्वरूप 21 जनवरी 1943 को उन्हें फांसी दे दी गई। 
 
उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारत वर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा व्यक्त की। आजाद हिंद फौज के सेनानियों द्वारा उनकी मां को स्वर्ण प्रदान कर सम्मानित किया गया। उनके नाम पर डाक टिकट जारी कर तथा देशभर में उनके नाम पर उद्यानों, मार्गों, विद्यालयों, वार्डों, चौक-चौराहों का नामकरण किया गया एवं उनकी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, उनके त्याग और प्राणोत्सर्ग को कृतज्ञ देशवासियों का शत शत नमन।
 
(लेखक मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग में सचिव है)
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)

Hemu kalani
ALSO READ: जीवन में जोश भर देंगे, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 20 क्रांतिकारी विचार

ALSO READ: Netaji Subhas Chandra Bose: कैसे थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जानिए उनके जीवन से जूड़ी पूरी दास्तान

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी