बाल कविता : नभ के तारे

-डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'
 
नभ में देखो प्यारे-प्यारे, 
चम-चम चमक रहे हैं तारे।
अठखेलियां करते हैं हरदम, 
नटखट हैं सारे के सारे।।1।।
 
जानें क्यों डरते सूरज से, 
छिप-छिपकर दिन में ये रहते।
सुख-दु:ख अपना सह लेते हैं, 
नहीं किसी से कुछ भी कहते।।2।।

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