क्या महागठबंधन में फिर शामिल होना चाहते थे नीतीश, लालू के दावे पर बवाल

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019 (12:32 IST)
पटना। राजद के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने दावा किया है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने और भाजपा से हाथ मिलाने के छह महीने बाद दोबारा वापसी करना चाहते थे लेकिन मैंने मना कर दिया। 
 
लालू ने अपनी जल्द रिलीज होने वाली किताब में दावा किया है कि नीतीश कुमार ने (जदयू के उपाध्यक्ष और विश्वासपात्र प्रशांत किशोर को दूत के तौर पर पांच विभिन्न मौकों पर भेजा था। हर मौके पर लालू को इस बात के लिए मनवाने की कोशिश की गई कि उन्हें महागठबंधन में दोबारा शामिल किया जाए। 
 
लालू ने अपनी आगामी किताब गोपालगंज टू रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी किताब में लिखा है, 'किशोर ने इस बात के संकेत दिए थे कि जदयू को भाजपा से हटाकर महागठबंधन में शामिल कर लिया जाए। मेरे मन में नीतीश के प्रति कोई कड़वाहट नहीं है। मैं उनमें पूरी तरह से विश्वास खो चुका था। मुझे इस बात का यकीन नहीं था कि 2015 में जिन लोगों ने महागठबंधन के लिए वोट किया था और जो पार्टियां भाजपा के खिलाफ एकजुट हुई थीं वह किस तरह की प्रतिक्रिया देतीं यदि मैं प्रशांत किशोर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता।'
 
हालांकि जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने लालू के उस दावे को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि नीतीश ने दोबारा महागठबंधन में जाने की कोशिश की थी। त्यागी ने कहा कि अगर नीतीश की ऐसी कोई इच्छा होती तो यह पार्टी की आंतरिक बातचीत में जरूर होती। जदयू का राजद को अस्वीकार कर देना स्थायी था और नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर समझौता कर लेने वाले आखिरी व्यक्ति होते। इसी कारण लालू के सभी दावे झूठे हैं।'
 
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि मैं इस बात को पूरी जिम्मेदारी के साथ कहूंगा कि नीतीश कुमार ने हमारे साथ आने और गठबंधन का हिस्सा बनने की कई बार कोशिश की थी। उन्होंने कई तरीकों से हमसे संपर्क की कोशिश की वह भी एनडीए में जाने के छह महीनों के अंदर।

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