रवि प्रदोष व्रत रखने का महत्व, पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

Margashirsha Pradosh vrat 2023 : हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हर महीने में प्रदोष व्रत 2 बार किया जाता है। इस बार 10 दिसंबर 2023, दिन रविवार को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इसी दिन प्रदोष व्रत के साथ-साथ मासिक शिवरात्रि व्रत भी किया जाएगा। 
 
आइए यहां जानते हैं महत्व, पूजन सामग्री, विधि, कथा, मंत्र एवं शुभ मुहूर्त के बारे में-
 
महत्व: मान्यतानुसार अगहन/ मार्गशीर्ष मास भगवान श्री कृष्ण का महीना है, जो कि बहुत ही पवित्र और फलदायी माना गया है। अत: मार्गशीर्ष मास में आने वाला प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन शिव जी तथा श्री विष्णु का पूजन करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं तथा मनुष्य निरोगी हो जाता है। यह व्रत करने वाले समस्त पापों से मुक्त भी होते है। इस बार मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत 10 दिसंबर 2023, दिन रविवार को मनाया जा रहा है। 
 
इस दिन प्रदोष व्रतार्थी को नमकरहित भोजन करना चाहिए। यद्यपि प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है। अत: जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष अनुसार व्रत को करने से जीवन की अनेक समस्याएं दूर की जा सकती हैं। 
 
पूजन के शुभ मुहूर्त-pradosh vrat date and muhurat 
 
10 दिसंबर 2023, रविवार को रवि प्रदोष व्रत
 
मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 9 दिसंबर 2023, शनिवार को 10.43 पी एम से, 
प्रदोष व्रत का समापन- 10 दिसंबर 2023 को 10.40 पी एम पर होगा।
 
पूजन का शुभ समय- 05.41 पी एम से 07.58 पी एम पर।
कुल अवधि : 02 घंटे 16 मिनट्स
 
दिन का चौघड़िया
 
चर- 06.37 ए एम से 08.12 ए एम
लाभ- 08.12 ए एम से 09.47 ए एम
अमृत- 09.47 ए एम से 11.22 ए एम
शुभ- 12.57 पी एम से 02.32 पी एम
 
रात्रि का चौघड़िया
 
शुभ- 05.41 पी एम से 07.07 पी एम
अमृत- 07.07 पी एम से 08.32 पी एम
चर- 08.32 पी एम से 09.57 पी एम
लाभ- 12.47 ए एम से 11 दिसंबर को 02.12 ए एम, 
शुभ- 03.37 ए एम से 11 दिसंबर को 05.02 ए एम। 
 
ब्रह्म मुहूर्त- 03.31 ए एम से 04.16 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 03.54 ए एम से 05.02 ए एम
अभिजित मुहूर्त - 10.56 ए एम से 11.47 ए एम
विजय मुहूर्त- 01.28 पी एम से 02.19 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.40 पी एम से 06.03 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.41 पी एम से 06.50 पी एम
अमृत काल- 06.47 पी एम से 08.24 पी एम
निशिता मुहूर्त- 10.59 पी एम से 11.45 पी एम
 
पूजन सामग्री :
1 जल से भरा हुआ कलश, 1 थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।
 
पूजन की सरल विधि : 
- रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात: नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- फिर उपरोक्त सामग्री से शिव जी का पूजन करें।
- इस पूरे दिन निराहार रहें।
- दिनभर मन ही मन शिव मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करें।
- फिर सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार पूजन करें।
- रवि प्रदोष व्रत की पूजा का समय शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच उत्तम रहता है, अत: इस समय पूजा करना उचित रहता है।
- नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं।
- तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8‍ दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। 
- इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। 
- शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
 
प्रदोष वालों को मंत्र - 'ॐ नम: शिवाय', 'शिवाय नम:', ॐ त्रिनेत्राय नम:, 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्' आदि मंत्रों का कम से कम 108 बार जप करें।
 
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