उत्साह: खुशियों का टॉनिक

NDND
इस भागमभाग भरी जीवनशैली में उत्साह का टॉनिक हमें दिनभर काम करने की दुगुनी चेतना व ऊर्जा देता है।

सवाल यह उठता है कि इस ऊर्जा व स्फूर्ति का स्रोत क्या है? इसे कहीं बाहर तलाशने से बेहतर है हम इसे अपने भीतर ही तलाशें। यह तो हमारे भीतर ही छुपा है।

हमारी सभी आवश्यकताओं का ख्याल रखने वाली हमारी माँ आखिर इतना काम कैसे कर लेती हैं? उनमें इतनी स्फूर्ति कहाँ से आती है?

यह स्फूर्ति आती है उस उत्साह से, जिससे वह अपना हर छोटा-बड़ा काम करती है। यही उत्साह उनके द्वारा किए गए काम की थकान को न केवल दूर करता है बल्कि उनमें एक नई ऊर्जा का सृजन भी करता है।

अगर हम भी इस ऊर्जा से प्रेरणा लें तो इसमें हर्ज ही क्या है? होता यह है कि हम हर काम को बोझ समझकर करते हैं, जिससे वह और भी अधिक थकाऊ प्रतीत होता है तथा हमें मानसिक थकान देता है जो शारीरिक थकान से कहीं ज्यादा त्रासद होती है।

  फिजूल के विचारों और चिंताओं से बचना भी एक कला है। यह तभी संभव है जब आप प्रसन्न रहें और सभी को प्रसन्न रखें। खुशियाँ उतनी दूर नहीं होतीं, जितनी समझी जाती हैं।      
महिलाओं को इस प्रवृत्ति से बचने की महती आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि उन्हें अपने संपूर्ण परिवार का ख्याल रखना पड़ता है।

उनके दिन की शुरुआत न केवल सुबह बल्कि शाम को भी होती है। बच्चों अथवा पति के घर लौटने पर यदि घर की महिला का चेहरा स्फूर्तिभरा मिले तो पूरे परिवार को ऊर्जा मिल जाती है। लेकिन यह तभी संभव है जब घर की महिला स्वयं उत्साहित व स्फूर्तिभरी हो।

आप नित नई ताजगी का स्रोत स्वयं के भीतर ही महसूस करें। हमेशा तरोताजा बने रहने के लिए सबसे पहले जरूरी है- सकारात्मक सोच। अनावश्यक तनाव से बचने वाली महिलाएँ हमेशा तरोताजा बनी रहती हैं।

फिजूल के विचारों और चिंताओं से बचना भी एक कला है। यह तभी संभव है जब आप प्रसन्न रहें और सभी को प्रसन्न रखें। खुशियाँ उतनी दूर नहीं होतीं, जितनी समझी जाती हैं।

घर-परिवार के आँगन में खुशियों के फूल तभी खिलखिलाते हैं, जब घर की महिलाएँ स्वयं उत्साहित रहें और अपने परिवार में भी मुस्कुराहट का जादू बिखेर दें। इसके लिए हर पल उत्साहित, नई स्फूर्ति और नूतन ताजगी से भरे रहने से बेहतर विकल्प कोई हो ही नहीं सकता।

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