Women’s day: सानिया से लेकर लक्ष्‍मीबाई तक, 20 महिलाएं जिनकी कहानियों के नाम हैं कामयाबी

गुरुवार, 5 मार्च 2020 (07:30 IST)
फिल्‍म से लेकर विज्ञान तक। खेल से लेकर राजनीति तक। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां भारतीय स्‍त्रियों ने अपनी उपस्‍थिति दर्ज नहीं करवाई है। सानिया मिर्जा से लेकर रानी लक्ष्‍मीबाई तक ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे।
आइए जानते हैं देश की ऐसी ही 20 महिलाओं के बारे में जिनकी कहानियां कामयाबी की इबारत बनकर हर किसी की जुबां पर बरबस ही चली आती हैं।   

 
फराह खान : कोरियोग्राफर, निर्देशक
इन्हें प्रतिभा का पॉवर हाउस कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। चाहे वह चलती ट्रेन की छत पर फिल्माया 'चल छैयाँ छैयाँ' हो, 'इक पल का जीना' या 'वो लड़की है कहाँ', इनके निर्देशन में तैयार हुआ प्रत्येक नृत्य दर्शकों के मन में बस जाता है। सहज-सरल अंदाज में नृत्य को प्रस्तुत करना फराह की विशेषता है। इसीलिए महानगरों के स्टेज शो से लेकर गली के स्टेज तक पर उनके द्वारा नृत्यबद्घ किए गए गीत पसंद किए जाते हैं। फिल्म 'मैं हूँ ना' के साथ इन्होंने फिल्म निर्देशक के रूप में भी पहचान बनाई है।

रश्मि उदय सिंह : खाद्य और स्वास्थ्य विशेषज्ञ
खान-पान के जरिए लंबी उम्र जीने का गुर सिखाने के लिए रिश्म उदय सिंह का नाम जाना जाता है। राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में सेहत से जुड़े स्तंभ लिखने के अलावा इनकी बाजार में आ चुकी आठों किताबों ने बेस्ट सेलिंग की सूची में नाम दर्ज करवाया है। इनसे खान-पानसे जुड़ी सलाह लेने वालों में देश की कई बड़ी हस्तियाँ शामिल हैं। इन सबसे हटकर वे सह आयकर आयुक्त भी हैं। देश के कई जाने-माने रेस्टोरेंट में रश्मि उदय सिंह के सेहत के खजानों का मार्गदर्शन लिया जाता है।

सानिया मिर्जा : टेनिस खिलाड़ी
इस 20 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी ने दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है। वर्ष 2003 में विम्बल्डन चैंपियनशिप गर्ल्स डबल का टाइटल उन्होंने अपने नाम करके टेनिस जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा।

रितु कुमार : फैशन डिजाइनर
35 साल पहले कोलकाता के एक गाँव में 'रितु' के नाम से शुरू किया गया बुटिक आज फैशन उद्योग का प्रमुख स्तंभ बन गया है। उस समय चार हैंड ब्लॉक प्रिंटर और मात्र दो टेबलों पर तैयार होने वाले नई-नई डिजाइनों के वस्त्र आज देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित हो रहे हैं। रितु कुमार का नाम सिर्फ फैशन जगत में ही नहीं, बल्कि समाप्ति की कगार तक पहुँच चुके भारतीय क्रॉफ्ट बाजार में नई जान फूँकने के लिए भी जाना जाता है। फैशन का हर नया अंदाज आज इन्हीं के हाथों से होकर गुजरता है।

दीपा मेहता : फिल्म निर्देशक
समाज के भीतर पल रहे अजीब रिश्तों, विवादास्पद संबंधों को 'फायर' और 'अर्थ' जैसी फिल्मों के जरिए उभारने के लिए पहचानी जाने वाली दीपा मेहता की हालिया फिल्म 'वाटर' ऑस्कर के लिए नामांकित हुई थी, लेकिन बदकिस्मती से ऑस्कर जीत नहीं पाई। यह फिल्म विधवामहिलाओं के जीवन पर आधारित है। फिल्म को लेकर भारत में काफी हो-हल्ला भी मचा। दीपा मेहता का नाम आज सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने वालों में सम्मान के साथ लिया जाता है।

सुनीता मेनन : टेरो रीडर
फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में करियर की शुヒआत करके टेरो कार्ड के जरिए सफल भविष्यवक्ता तक का सफर तय करने वाली सुनीता मेनन आज देश की उन चुनिंदा महिलाओं में शुमार हैं, जिनकी कही गई बात करण जौहर, एकता कपूर जैसी हस्तियों से लेकर उद्योग जगत की कई हस्तियाँ मानती हैं। टेरो कार्ड के जरिए जीवन की घटनाओं का ब्योरा देने वाली सुनीता से मिलने के लिए लोग महीनों पहले अपॉइंटमेंट लेते हैं। भविष्य वक्ताओं के लिए वे रोशनी की नई किरण की तरह उभरी हैं।

एकता कपूर : धारावाहिक निर्मात्री
हिन्दी टेलीविजन की दुनिया में सोप ओपेरा की महारानी कहलाती हैं एकता कपूर। बालाजी टेली- फिल्म्स के नाम से शुरू की गई उनकी प्रोडक्शन कंपनी ने सास-बहू से लेकर हर उम्र खासकर महिलाओं से जुड़े धारावाहिक तैयार करके टीवी की दुनिया ही बदलकर रख दी। आजअनेक हिन्दी मनोरंजन चैनलों पर एकता कपूर की कंपनी द्वारा बनाए सीरियलों की धूम मची है। 17 वर्ष की उम्र से उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रख दिया था। बालाजी टेलीफिल्म्स के स्टूडियो देश के कुछ बड़े शहरों में भी नजर आएँगे।

शोभा डे : लेखिका
सशक्त लेखिका, स्तंभकार, पत्रकार और प्रेरणा देने वाली पत्नी का सफल दायित्व निभाने वाली महिला हैं शोभा डे। ये उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं, जो हमेशा कुछ नया करने के लिए जानी जाती रही हैं। नॉवेल लेखिका के रूप में जरूर कई बार आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी सृजन यात्रा जारी रखी और आज उनके काम अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं। हाल ही में उन्होंने 'शोभा डे!' नाम से फैशन की दुनिया में कदम रखा है।

चारु सचदेव : निदेशक टीएसजी मार्केटिंग
भारत में लक्जरी ब्रांड के बाजार को बढ़ाने के लिए चारु द्वारा शुरू किए गए टीएसजी इंटरनेशनल मार्केटिंग प्रालि ने मात्र तीन वर्ष के छोटे से अंतराल में कई विदेशी ब्रांड को भारत तक खींच लाने में सफलता हासिल की है। उनके पास आज टॉमी हिलफाइजर ब्रांड के कपड़े और एक्सेसरीज की फ्रेंचाइजी है। इसके अलावा इटली के एईएफएफई फैशन गु्रप की मार्केटिंग का जिम्मा भी चारु की कंपनी के पास है। यह कंपनी मॉशिनो, जीनपॉल गाउटियर जैसे नामी ब्रांड के कपड़े बनाती है।
शबाना आजमी : अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता
बात चाहे फिल्मों की हो या समाजसेवा की, शबाना आजमी ने दोनों ही क्षेत्रों में अपनी सशक्त जगह बनाई है। उन्होंने स्वयं कहा है कि मैं एक बेटी, पत्नी, माँ, महिला, अभिनेत्री, भारतीय और मुस्लिम हूँ। इनमें से प्रत्येक पहचान मेरे लिए महत्व रखती है।

माता अमृतानंदमयी : अध्यात्म मार्गदर्शक
अपने ममतामयी आलिंगन के जरिए भावनात्मक समस्याओं का निदान करने के लिए माता अमृतानंदमयी दुनियाभर में प्रसिद्घ हैं। प्यार से भक्त उन्हें अम्मा कहते हैं। वे लगातार 20 से 30 घंटे तक बैठकर अपने भक्तों को गले लगाती हैं और उनके तनाव व दुःखों को दूर करने की कोशिश करती हैं।

सिस्टर निर्मला : मानवतावादी
मदर टेरेसा को अपनी प्रेरणा मानकर उनके मार्ग पर चलकर दुनिया को रोशनी दिखाने के लिए सिस्टर निर्मला का नाम आज सम्मान से लिया जाता है। शांति की स्थापना के लिए चलाए गए अभियानों ने मिसाल कायम की है। मदर टेरेसा के आदर्शों को दुनिया भर में फैलाने के लिए उन्हें शांतिदूत की तरह सम्मान दिया गया।

अनुराधा साहनी : प्रमुख कार्यकर्ता पीटा
पशु कू्ररता के खिलाफ काम कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था पीटा की प्रमुख कार्यकर्ता अनुराधा साहनी ने जीवन अबोध पशुओं का संरक्षण करने के लिए अर्पित कर दिया है। पहले वे एक चमड़ा उद्योग में काम करती थीं। वहाँ पशुओं पर कू्ररता होते हुए करीब से देखा, और तभी से उन्होंने पशु संरक्षण का काम करने की ठानी।

किरण मजूमदार शॉ : उद्योगपति
बायोकॉन इंडिया की चेयरमैन और प्रबंध संचालक किरण मजूमदार शॉ को फोर्ब्स पत्रिका ने वर्ष 2005 की सूची में भारत के 40 अमीरों की सूची में शामिल किया था। वे भारत की पहली महिला ब्रू मास्टर बनीं। मात्र 10 हजार रुपए से शुरू किया गया उनका कारोबार आज 710मिलियन डॉलर का विशाल उद्योग बन गया है।

सोनिया गांधी : राजनीति
सशक्त राजनीतिज्ञ, ठोस निर्णय लेने वाली महिला, पति स्व. राजीव गाँधी के उद्देश्यों को पूरा करने वाली पत्नी और हौसले के साथ बच्चों को प्रेरित करने वाली माँ श्रीमती सोनिया गाँधी का जीवन विचित्रताओं और अच्छी-बुरी घटनाओं से भरा रहा है। आज भारत की राजनीति में सोनिया गाँधी का कोई सानी नहीं।

नैना लाल किदवई : सीईओ एचएसबीसी
ये पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने 1982 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से स्नातक डिग्री हासिल की। नैना ने स्वयं को मेहनत और लगन के बल पर भारत के सर्वश्रेष्ठ बैंकर्स की सूची में शुमार किया है। नैना के एचएसबीसी के सीईओ बनने के बाद बैंक ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। नैना को किसी बैंक की सर्वाधिक कमाई वाली अधिकारी माना जाता है।

चंदा कोचर : उप प्रबंध संचालक आईसीआईसीआई
1984 में 22 वर्ष की उम्र में आई सी आई सी आई बैंक ज्वाइन करके बैंक को ऊँचाइयों तक पहुँचाने में चंदा कोचर का महत्वपूर्ण हाथ रहा है। बैंक की उप प्रबंध संचालक बनने के बाद चार वर्ष के समय में बैंक के ग्राहकों की संख्या 20 लाख से एक करोड़ 40 लाख तकपहुँच गई है। विश्वास स्थापित करने की दिशा में अमूल्य योगदान है।

शाहीन मिस्त्री : प्रबंध संचालक आकांक्षा
जिस उम्र में अधिकांश लड़कियाँ अपना वक्त मौज-मस्ती में बिताती हैं उस 18 वर्ष की उम्र में शाहीन मिस्त्री ने अपना पूरा ध्यान एनजीओ 'आकांक्षा' स्थापित करने में लगाया। उनका हक दिलवाने के उद्देश्य से स्थापित किए गए आकांक्षा के मुंबई में 32 और पूना में 22 सेंटर है।

मेहर पदमजी : चेयरपर्सन, थर्मेक्स
कंपनी में ट्रेनी इंजीनियर की हैसियत से दाखिल हुई मेहर पदमजी थर्मेक्स की चेयरपर्सन हैं। माँ अनु आगा के साथ मिलकर कंपनी में नई जान फूँकने के लिए पत्रिका फोर्ब्स ने इन्हें वर्ष 2005 की एशिया की सबसे चर्चित 'अंडर बिलियन' की सूची में शामिल किया था। कंपनी का टर्नओवर आज 1000 करोड़ से ज्यादा है।

विनीता बाली : प्रबंध संचालक, ब्रिटेनिया
हमेशा तनाव में नजर आने वाले सीईओ और प्रबंध संचालकों की तरह नहीं हैं विनीता बाली। वोल्टास के साथ अपना करियर शुरू करने वाली विनीता को बच्चों का पसंदीदा सॉफ्ट ड्रिंक रसना लांच करने के लिए जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने कोका कोला और कैडबरी के साथ भी काम किया।

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