कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में खुद को आगे रखने के लिए नए-नए शगल अपनाए जा रहे हैं। नए फंडे अपनाने से फायदा तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है, उल्टा नुकसान ही हो रहा हैं। पढ़ाई में अव्वल रहने के इरादे से ज्यादा अध्ययन करने के लिए विद्यार्थी नींद भगाने के उद्देश्य से कई दवाओं का सेवन कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि बगैर किसी चिकित्सकीय परामर्श के विद्यार्थी धड़ल्ले से इन दवाओं का सेवन कर रहे हैं। कई छात्र जागने की दवा खा रहे हैं। वे ऐसा परीक्षा की तैयारी करने के लिए कर रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि बिना डॉक्टरी सलाह के इस दवा को लेने से पूरी तरह से मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। ऐसे में विद्यार्थी अनजाने में ही खतरा मोल ले रहे हैं। दवा व्यापारियों की मानें तो शहर में सैकड़ों लोग जागने के लिए दवा का इस्तेमाल करते हैं। जानकारी के मुताबिक मोडअलर्ट टैबलेट कोई भी डॉक्टर विद्यार्थियों को नहीं लिखता है। कारण कि इसके दुष्परिणाम ज्यादा हैं। प्रशासन ने मेडिकल स्टोरों को भी बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा देने के लिए सख्ती से मना किया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि इसके बावजूद मेडिकल स्टोर पर दवाएं मिलती हैं। सेवन करने वाले विद्यार्थी बताते हैं कि दवाएं कई मेडिकल स्टोर पर मिल रही हैं। इनमें कई आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर भी हैं। दवा व्यवसायी बताते हैं दिसंबर से मोडअलर्ट टैबलेट की मांग बढ़ी है। कारण इस समय कॉलेजों में सेमेस्टर परीक्षा के साथ अन्य परीक्षाओं का होना है । ये परीक्षाएं फरवरी तक चलेंगी। इसके बाद 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। ऐसे में आगे भी इनकी मांग अधिक रहेगी। हालांकि अधिकांश व्यापारी बिना पर्ची दवा नहीं देते हैं। परंतु कुछ स्टोर पर दवा मिल रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक डिप्रेशन के 5 हजार मरीजों में से एक मरीज को मोडअलर्ट टैबलेट खाने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बीते 6 माह में किसी भी मरीज को मोडअलर्ट टैबलेट 100 एमजी खाने की सलाह नहीं दी है। उन्होंने बताया डॉक्टरी सलाह के बिना इस दवा के खाने से व्यक्ति नींद न आने की बीमारी से पीड़ित हो सकता है। उसका मानसिंक संतुलन भी बिगड़ सकता है।
तो होगी कार्रवाई : यदि मेडिकल स्टोर्स पर नींद न आने की दवा बिना डॉक्टरी पर्चे के बिक रही है तो ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। सभी दवा वितरकों को सलाह दी गई है कि बिना डाक्टरी पर्ची के दवाएं न दें।