शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि में सात्विक विचारों के साथ माँ की विशेष मंत्रों से आराधना की जाए तो न सिर्फ रुठा भाग्य जागता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी आती है। शास्त्रों में मान्यता है कि 9 महाशक्तियाँ 9 ग्रह के दोष भी दूर करती हैं। यह होता है विशेष मंत्रों से पूजन करने से।
पं. गोचर शर्मा के अनुसार नवरात्र में 12 राशियों वाले व्यक्तियों के लिए शास्त्रों में अलग-अलग विधानानुसार पूजन विधि दी गई है। मेष राशि वालों को दुर्गा की आराधना करते हुए ॐ ह्मी हुं दुर्गाए नमः का पाठ आस्थानुसार करना चाहिए। वृषभ राशि वाल माँ काली की आराधना करें व ह्मी क्री ह्मी क्ली मंत्र का जप करें। मिथुन राशि वाले माँ तारा की आराधना ॐ ह्मी त्रीं हूँ फट् मंत्र के जाप के साथ करें। कर्क राशि वाले माँ कमला की आराधना श्री नमः कमल वासिन्यै स्वाहाः मंत्र से करें। सिंह राशि वाले माँ त्रिपुर भैरवी की आराधना ऐं क्लीं सौः सौः क्ली मंत्र से करें। कन्या राशि वाले माँ मातंगी की पूजा ॐ ह्मी क्लीं हूँ मांतगे स्वाहा मंत्र जाप के साथ करें। तुला राशि वाले माँ भद्रकाली की आराधना त्रीं भद्रकालिन्ये नमः मंत्र से करें। वृश्चिक राशि वाले माँ महादुर्गा की आराधना ह्मी दुर्गाए नमः मंत्र से करें। धनु राशि वाले माँ बगलामुखी की आराधना श्री ह्मी ऐं वगलानमः मंत्र से करें। मकर राशि वाले माँ षोडशी की आराधना श्री ह्मी ऐं मंत्र से करें। कुंभ राशि वाले माँ भुवनेश्वरी की आराधना ऐं भुवनेश्वरी नमः मंत्र से करें। मीन राशि वाले माँ प्रत्यगंश देवी की आराधना ह्मी ऐं श्री प्रत्यगिरा देवी नमः मंत्र से करें।
ग्रहों से दूर होते हैं दोष
तण्डी ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि 9 देवियों की आराधना से 9 ग्रह के दोष दूर होते हैं। शैलपुत्री के पूजन से चंद्र दोष, ब्रह्मचारिणी गुरु ग्रह के दोष, चंद्रघंटा बुध के दोष, कुष्मांडा माता सूर्य के दोष, कालरात्रि शनि के दोष, महागौरी शुक्र के दोष व सिद्धिदात्री केतु ग्रह के दोष दूर होते है। नवरात्र में विधानानुसार पूजन कर लोगों को नवग्रह के दोष दूर करना चाहिए।
यह चढ़ाएँ नैवेद्य में
तंत्र उपासक विशाल बरुआ के अनुसार प्रतिपदा को गाय के दूध से बने पदार्थ, द्वितीया को शकर से बने, तृतीया को मक्खन, चतुर्थी को मालपुआ, पंचमी को केला, पष्ठी को शहद, सप्तमी को गुड़, अष्टमी को श्रीफल व नवमी को दलिया नैवेद्य के रूप में चढ़ाना चाहिए। इससे उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु, दुःखों से मुक्ति, बौद्धिक चातुर्य में वृद्धि, आकस्मिक विपत्तियों से दूरी तथा सुख व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
पं. अभिषेक जोशी ने बताया कि पंचमी तिथि की वृद्धि होने से नवरात्र 10 दिवसीय होगी। नवरात्र में तिथि का वृद्धि होना देश के लिए सुखद है। घट स्थापना के लिए सुबह 6.30 से 10.30, दोपहर 12.05 से 12.50 व शाम 3.44 से 5.55 तक का मुहूर्त श्रेष्ठ है। नवरात्र में प्रत्येक दिन घर के मुख्य द्वार पर पूजन करने से सालभर मंगल रहता है।