- न्यूज़ीलैंड से रोहित कुमार 'हैप्पी'
विश्व हिन्दी सम्मेलन में सम्मिलित होने आई फीजी के समाचार पत्र शांति-दूत की संपादिका, 'नीलम कुमार' से जब मैंने उनके भारत के अनुभव के बारे में पूछा तो वे कहने लगीं कि भारत आना उनके लिए हर बार सुखद अनुभव होता है।
बापू की समाधि का अपना अनुभव सुनाते हुए वे बड़ी भावुक हो गईं, "मैं बापू की समाधि छूना चाहती थी लेकिन वहाँ इसकी अनुमति नहीं थी। मैंने वहाँ खड़े एक कर्मचारी को कहा कि बस केवल एक बार मैं बापू की समाधि को छूना चाहती हूँ। पहले तो उसने साफ मना कर दिया पर मेरे यह बताने पर कि मैं बड़ी दूर से आई हूँ और मैं केवल एक क्षण के लिए बापू की समाधि को छूना भर चाहती हूँ।" कहते-कहते नीलम कुमार अपने आँसुओं को रोक नहीं पाईं।