पिशाचेश्वर सांनिध्ये तमाराधय सत्वरम्।।
ढुंढेश्वर महादेव मंदिर अवंतिका के प्रसिद्ध रामघाट के पास स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर ढुंढ नामक गणनायक था जो कामी और दुराचारी था। एक बार वह इन्द्रलोक की अप्सरा रंभा को नृत्य करता देख उस पर आसक्त हो गया। वहां उसने रंभा पर एक पुष्प गुच्छ फैंक दिया। यह देखकर इंद्र अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने उसे शाप दिया, जिससे वह मृत्युलोक में बेहोश होकर गिर गया।
जब उसे होश आया तब उसे अपने कृत्य पर क्षोभ हुआ और शाप से मुक्ति पाने हेतु उसने महेंद्र पर्वत पर तपस्या की लेकिन उसे सिद्धि प्राप्त नहीं हुई। शाप से मुक्ति पाने हेतु अनेक स्थानों पर तपस्या करता हुआ वह गंगा तट पर पहुंचा। लेकिन तब भी उसे सिद्धि प्राप्त नही हुई जिससे हताश होकर उसने धर्म कर्म छोड़ने का निर्णय लिया। तभी भविष्यवाणी हुई कि महाकाल वन जाओ और शिप्रा तट पर पिशाच मुक्तेश्वर के पास स्थित शिवलिंग की पूजा करो। इससे तुम शाप से मुक्त हो जाओगे और तुम्हे पुनः गण पद प्राप्त होगा।