भगवान शंकर ने पार्वती को कथा सुनाते हुए बताया कि गणों में सबसे प्रिय गण घंटा नाम का गण है। देवताओं के संगीत सभागृह में इच्छा से शामिल होने के लिए चतुर गंधर्वों में श्रेष्ठ चित्रसेन से मिले और सभा में शामिल होने का उपाय पूछा। उपाय बताने से पूर्व चित्रसेन ने गण की परीक्षा ली और संगीत सुनाने को कहा। गण से संगीत सुनने के बाद चित्रसेन प्रसन्न हुए और सभा में जाने की आज्ञा दे दी। थोड़ी देर के बाद वहां भगवान शंकर का द्वारपाल आया और गण से कहा कि तुम महादेव को छोड़कर यहां बैठे हो। तुम्हें ब्रह्मा की सभा में जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। इतना सुन कर गण दूर जाकर बैठ गया।
गण का पश्चाताप देखकर भगवान शिव ने कहा तुम महाकाल वन में चले जाओ वहां रेवन्तेश्वर के पश्चिम में उत्तम लिंग है। तुम इस लिंग की पूजा करो यह लिंग तुम्हें सुख-समृद्धि देगा और भविष्य में यह लिंग घण्टेश्वर के नाम से जाना जाएगा। मान्यता है कि जो भी मनुष्य घंटेश्वर का दर्शन और पूजन करेगा उसे संगीत की सभी विधाओं का ज्ञान मिलेगा।