बीजिंग ओलिंपिक में पदक की भारत की सबसे मजबूत उम्मीद माने जाने वाले निशानेबाजों ने वर्ष 2007 में निराश ही किया। देश का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पाने वाले मानवजीतसिंह संधू के अलावा अन्य निशानेबाजों का प्रदर्शन आशा के मुताबिक नहीं रहा।
विश्व चैम्पियन और दुनिया का नंबर एक निशानेबाज मानवजीत ने जीव मिल्खासिंह और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों को पछाड़कर खेल रत्न हासिल किया।
समरेश जंग (पिस्टल), संजीव राजपूत (राइफल) और मनशेरसिंह (ट्रैप) ही भारत की ओर से ओलिंपिक कोटा हासिल कर सके, जिससे खेलों के महाकुंभ की निशानेबाजी स्पर्धा में उसकी नौ सदस्यीय टीम उतरेगी।
भारतीय साल के अंत में कुवैत में हुई एशियाई चैम्पियनशिप में भी फ्लॉप रहे और कोच सन्नी थॉमस ने कहा कि उनके निशानेबाज एक बार फिर बड़ी प्रतियोगिता के दबाव को झेलने में नाकाम रहे।
डबल ट्रैप निशानेबाज रंजन सोढ़ी, पिस्टल शूटर हरवीन सराओ और सुमन राणा ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने के प्रबल दावेदार थे, लेकिन इन्होंने निराश किया। हरवीन इस साल बैंकाक में महिलाओं की दस मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में एथेंस ओलिंपिक चैम्पियन ओलेना कोस्टेविच को हराकर सुर्खियों में आई थी।
राजपूत भाग्य के सहारे ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे। वे अमेरिका के अटलांटा के फोर्ट बेनिंग में आयोजित आईएसएसएफ विश्व कप की फ्री राइफल थ्री पोजीशन में 1170 अंकों के साथ 11वें स्थान पर रहे थे, लेकिन पहले दस स्थान के निशानेबाजों के पहले ही ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने के कारण उन्हें मौका मिला।
राजपूत ने आईएसएसएफ विश्व कप और सिडनी में ऑस्ट्रेलिया कप के दौरान 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन और 50 मीटर राइफल प्रोन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया।
समरेश जंग ने म्यूनिख में आयोजित आईएसएसएफ विश्व कप के दौरान बीजिंग ओलंपिक की एयर पिस्टल स्पर्धा के लिए क्वालीफाई किया। वे कोटा स्थान हासिल करने वाले आठवें निशानेबाज और पिस्टल स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय बने।
इससे पहले आभा ढिल्लन (1992) और जसपाल राणा (1996) ने ओलिंपिक खेलों की पिस्टल स्पर्धा में वाइल्ड कार्ड के जरिए प्रवेश किया था।
मनशेरसिंह ने इटली के लोनाटो में आईएसएसएफ विश्व कप में 150 में से 140 अंक के साथ संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहकर ओलिंपिक कोटा हासिल किया। चोटी के चार खिलाड़ी पहले ही ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुके थे, इसलिए मनशेर को मौक मिल गया।
ऑस्ट्रेलिया कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए तेजस्विनी सावंत ने 50 मीटर प्रोन और 10 मीटर राइफल में दो स्वर्ण पदक जीते लेकिन वे ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी।