Laxmi Mahalaxmi Chalisa: माता लक्ष्मी और महालक्ष्मी दोनों की चालीसा अलग अलग है। दिवाली, गज लक्ष्मी या महालक्ष्मी व्रत के समय निम्न चालीसा का पाठ करना चाहिए। वैसे प्रति शुक्रवार को मां महालक्ष्मी का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होकर घर में धन समृद्धि बनी रहती है। जय जय श्री महालक्ष्मी नमो महा लक्ष्मी जय माता की चालीसा पढ़ें।
महालक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से घर में सुख, शांति, सौभाग्य के साथ ही धन में वृद्धि होती है। महालक्ष्मी की कृपा से रिद्धि-सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति होती है और उसे कष्ट नहीं होता है।
महा लक्ष्मी चालीसा | Mahalakshmi Chalisa:
॥ दोहा ॥
जय जय श्री महालक्ष्मी, करूँ मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिये, निज शिशु सेवक जान॥
॥ चौपाई ॥
नमो महा लक्ष्मी जय माता। तेरो नाम जगत विख्याता॥
आदि शक्ति हो मात भवानी। पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥
जगत पालिनी सब सुख करनी। निज जनहित भण्डारण भरनी॥
श्वेत कमल दल पर तव आसन।मात सुशोभित है पद्मासन॥
श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण। श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥
शीश छत्र अति रूप विशाला। गल सोहे मुक्तन की माला॥
सुंदर सोहे कुंचित केशा। विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥
कमलनाल समभुज तवचारि। सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥
अद्भूत छटा मात तव बानी। सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥
शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी। सकल विश्वकी हो सुखखानी॥
महालक्ष्मी धन्य हो माई। पंच तत्व में सृष्टि रचाई॥
जीव चराचर तुम उपजाए। पशु पक्षी नर नारी बनाए॥
क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए। अमितरंग फल फूल सुहाए॥
छवि विलोक सुरमुनि नरनारी। करे सदा तव जय-जय कारी॥
सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं। तेरे सम्मुख शीश नवावैं॥
चारहु वेदन तब यश गाया। महिमा अगम पार नहिं पाये॥
जापर करहु मातु तुम दाया। सोइ जग में धन्य कहाया॥
पल में राजाहि रंक बनाओ। रंक राव कर बिमल न लाओ॥
जिन घर करहु माततुम बासा। उनका यश हो विश्व प्रकाशा॥
जो ध्यावै से बहु सुख पावै। विमुख रहे हो दुख उठावै॥