इंग्लैंड का चैंपियंस ट्रॉफी में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 2004 में हुए चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुँचना इंग्लैंड की टीम के लिए इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी उपलब्धी रही है। 1998 से लेकर 2002 तक हुए चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में इंग्लैंड की टीम क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं जा पाई। 2004 में अपनी पूरी क्षमता से खेलते हुए टीम ने टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई, लेकिन खिताब तक नहीं पहुँच पाई। चैंपियंस ट्रॉफी में इंग्लैंड के अब तक के प्रदर्शन पर नजर डाली जाए तो यही कहा जा सकता है कि इस टीम ने अपने प्रशंसकों को हर बार निराश ही किया है।
1998: बांग्लादेश में हुए इस टूर्नामेंट में इंग्लैंड की टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ही बाहर हो गई। टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम की तरफ से एडम हॉलिओक के शानदार 83 रन और नील फेयरब्रदर के 56 रनों की बदौलत दक्षिण अफ्रीका के सामने 281 रनों का लक्ष्य रखने में कामयाब हुआ। लेकिन डेरल कलीनन ने दक्षिण अफ्रीका को अच्छी शुरुआत दी और उसके बाद कप्तान हैंसी क्रान्ये और जोन्टी रोड्स ने इस शुरुआत को आगे बढ़ाकर इंग्लैंड को पहले ही मैच में 6 विकेट से हराकर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया।
2000: इस टूर्नामेंट का आगाज इंग्लैंड ने बांग्लादेश पर जीत के साथ किया। पहले मैच में इंग्लैंड ने बांग्लादेश को 8 विकेट से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। एक बार फिर से क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड का सामना दक्षिण अफ्रीका से हुआ। 1998 टूर्नामेंट की तरह ही इस बार भी दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड को हराकर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। पहले बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम मात्र 182 रन बनाकर पैवेलियन लौट गई। इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने 2 विकेट खोकर 39 ओवर में इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।
2002: इस बार इंग्लैंड की टीम पूल राउंड में ही बाहर हो गई। पूल मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 269 रनों का लक्ष्य दिया और भारत ने सौरव गांगुली और वीरेन्द्र सहवाग के शतकों की सहायता से इस लक्ष्य को मात्र 2 विकेट खोकर प्राप्त कर लिया। इस तरह इंग्लैंड टूर्नामेंट से बाहर हो गया। इससे पहले इंग्लैंड ने अपने पहले मैच में जिम्बाब्वे को 108 रनों से हराया था।
2004: घरेलू मैदानों पर खेल रही इंग्लैंड की टीम खिताब के करीब जा कर हार गई। पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहाँ उसका सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ। कप्तान माइकल वॉन और मार्कस ट्रेस्कोथिक के शानदार अर्द्धशतकों की बदौलत इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल मैच में इंग्लैंड का सामना वेस्टइंडीज से हुआ। एक आसान जीत की और बढ़ रही इंग्लैंड की टीम अचानक मैच हार गई।
पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 217 रनों का लक्ष्य दिया। वेस्टइंडीज लक्ष्य का पीछा करते हुए 147 रनों पर अपने 8 विकेट खो चूकि थी, लेकिन कर्टनी ब्राउन और इयान ब्रेडशॉ ने 72 रनों की साझेदारी करके इंग्लैंड का खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया।
2006: टूर्नामेंट में अपने पहले मैच में ही इंग्लैंड का सामना भारत से हुआ और इस मैच में इंग्लैंड को हार का सामना करना पड़ा। शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारत ने इंग्लैंड की पूरी टीम को मात्र 125 रनों पर आउट कर दिया इंग्लैंड को 4 विकेट से हरा दिया। दूसरे मैच में इंग्लैंड का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने भी अच्छी गेंदबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम को 169 रनों पर रोक दिया और इस लक्ष्य को 4 विकेट खोकर प्राप्त कर लिया। इंग्लैंड ने पूरे टूर्नामेंट में एकमात्र जीत वेस्टइंडीज पर हासिल की जिसमें उसने वेस्टइंडीज को 3 विकेट से हराया।
2009: इंग्लैंड हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से एकदिवसीय श्रृंखला हारी है। ऐसे में टीम का मनोबल कमजोर होगा। इसके अलावा एशेज जैसा एक लंबा दौरा काफी थकाने वाला होता है, इससे टीम के चैंपियंस ट्रॉफी में प्रदर्शन पर प्रभाव जरूर पड़ेगा। इंग्लैंड चैंपियंस ट्रॉफी में इंग्लैंड को बी ग्रुप में रखा गया है।
चैंपियंस ट्रॉफी 2009 के लिए इंग्लैंड की टीम इस प्रकार है: इंग्लैंड टीम- एंड्रयू स्ट्रास (कप्तान), जेम्स एंडरसन, रवि बोपारा, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्रॉड, पॉल कॉलिंगवुड, जो डेनली, एंड्रयू फ्लिंटॉफ, एयोन मोर्गन, मैट प्रायर, आदिल राशिद, ओवैस शाह, रयान साइडबाटम, ग्रीम स्वान और ल्यूक राइट।