कोलकाता के एक अस्पताल में जो दर्दनाक हादसा हुआ है, वह उस व्यवस्था का एक रूपक है, जो तमाम तरह की बदइंतजामियों का अड्डा है। इनमें मरने वालों की संख्या से यह हादसा दहशतनाक नहीं बनता, बल्कि दहशत इसलिए पैदा होती है कि यह सब बदइंतजामियों का परिणाम है और इसे भुगतना उन्हें पड़ रहा है, जो जीवन जीने तलाश में आए थे और जिन्हें मृत्यु ने गले लगा लिया। तमाम तरह की लीपा-पोतियों के बाद भी हमारे इस महान लोकतंत्र का वह चरित्र शायद नहीं बदलेगा, जो बदइंतजाम का ही एक बड़ा आईना है।