बाल कविता : सर्दी के रंग....

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सर्दी लगी रंग जमाने
दांत लगे किटकिटाने
नई-नई स्वेटरों को
लोग गए बाजार से लाने।

बच्चे लगे कंपकंपाने
ठंडी से खुद को बचाने
ढूंढकर लकड़ी लाए
बैठे सब आग जलाने।

दिन लगा अब जल्दी जाने,
रात लगी अब पैर फैलाने
सुबह-शाम को कोहरा छाए
हाथ-पैर सब लगे ठंडाने।

सांसें लगीं धुआं उड़ाने
धूप लगी अब सबको भाने
गर्म-गर्म चाय को पीकर
सभी लगे स्वयं को गरमाने।

- प्रकाशचंद्र शिखरे

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