(5) व्यायाम हमेशा प्रसन्न मन से और पर्याप्त समय होने पर ही करना चाहिए। दुःख में, क्रोध में, चिन्ता में या जल्दबाजी में व्यायाम करने से लाभ के स्थान पर हानि ही होती है। इसलिए ऐसे अवसरों पर व्यायाम न करना ही उचित है।
(6) सबसे अच्छा तो यह है कि आप किसी पार्क में जाकर व्यायाम करें। यदि यह सम्भव न हो, तो घर की छत पर या बरामदे या बालकनी में, जहां शुद्ध वायु का आवागमन होता हो, व्यायाम करना चाहिए। यदि यह भी सम्भव न हो या मौसम की प्रतिकूलता के कारण बाहर न निकल सकते हों, तो किसी बड़े कमरे में व्यायाम किया जा सकता है। तेज चलते पंखे के सामने या नीचे व्यायाम नहीं करना चाहिए। इससे अच्छा है कि पंखा धीमा कर दें और पसीना निकलने दें।
(8) व्यायाम नियमित करना आवश्यक है। कभी करने और कभी न करने से व्यायाम का पूरा लाभ नहीं मिलता और हानि होने का भी डर रहता है। यदि अपवादस्वरूप कभी न कर पाएं, तो कोई बात नहीं। लेकिन सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्यायाम अवश्य कर लेने चाहिए।