बुध ग्रह के प्रभाव एवं शुभता के सरल उपाय

बुध सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट स्थित ग्रह है। यह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है। यह कन्या राशि में उच्च एवं मीन राशि में नीच का होता है।

बुध की विभिन्न भावों में स्थिति, प्रभाव व उपाय निम्नानुसार हैं -

* प्रथम भाव- विनोदप्रिय, हंसमुख, सामाजिक, आजीविका से निश्चिंत, ससुराल या संतान की ओर से चिंतित।

उपाय- नशा न करें।

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* द्वितीय भाव- लेखन कार्य, व्यापार से आमदनी, उभरा हुआ मस्तिष्क, शत्रुओं से हानि।

उपाय- जुआ न खेलें। नाक में छेद करवाएं।

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* तृतीय भाव- धनी, डॉक्टर, संतान का फल उत्तम, कभी-कभी बाधाएं।

उपाय- पक्षियों की सेवा करें। दांत हमेशा साफ रखें।


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* चतुर्थ भाव- माता का सुख, राजकीय सम्मान धनी।

उपाय- पीले कपड़े पहनें, केसर का तिलक लगाएं, स्वर्ण पहनें।



* पंचम भाव- सृजनात्मक व वाणी संबंधित कार्यों में ओजस्विता, न्यायप्रियता, ज्योतिष में रुचि व प्रवीणता, अशुभ स्थिति में परिवारजनों की चिंता।

उपाय- गले में तांबे के छेद वाला गोल सिक्का धारण करें।



* षष्ठम भाव- ईमानदार, उच्च श्रेणी का वक्ता, प्रबुद्ध व्याख्या, तर्कशास्त्र में निपुण, लेखन कार्य में कुशलता।

उपाय- शुभ कार्य के समय लड़की, कन्या या बकरी की सेवा करें। घर का द्वार उत्तर दिशा की ओर न रखें। चांदी धारण करें।



सप्तम भाव- सलाह-मशविरा में तेज, मार्गदर्शक, कलम में तेजी, जो कि विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलने-सा प्रभाव दे। व्यापारी।

उपाय- पन्ना धारण करें।



* अष्टम भाव- दांत का रोगी, बहन, बुआ इत्यादि को कोई कष्ट, बातचीत तथा स्वभाव में कर्कश।

उपाय- दुर्गा पूजा करें। मूंग साबुत का यथा‍शक्ति दान करें। नाक में चांदी का छल्ला धारण करें, छत पर बारिश का पानी रखें।



* नवम भाव- अपने से ज्यादा परिवार की चिंता करने वाला, प्राध्यापक, 34 वर्ष के बाद पूर्ण सफलता। अशुभ राशि में होने पर हरा रंग नुकसानदायक।

उपाय- लोहे की लाल रंग की गोली अपने पास रखें।



* दशम भाव- नीतिगत या ठेकेदारी के कार्य में संलग्न।

उपाय- शाकाहारी बनें।


* एकादश भाव- उच्च कुल में विवाह। 34 वर्ष के बाद अचानक सफलता एवं उन्नति।

उपाय- बुध को और अधिक शुभ करने के लिए पीला वस्त्र, केसर का तिलक तथा स्वर्ण का उपयोग करें। गले में तांबे का पैसा धारण करें।



* द्वादश भाव- व्ययकारी, रोगी, कन्या, बहन, मौसी तथा बुआ इत्यादि को कोई कष्ट संभव।

उपाय- माथे पर केसर का तिलक लगाएं, कम बोलें। कुत्ता पालें, स्वर्ण धारण करें।

इनके अलावा गणेश पूजा, दुर्गा स्तुति, बुध की वस्तुओं का दान करें। बुध के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।

'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:'।

(समाप्त)

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