महामृत्युंजय जप का घोर विपदा की अवस्था में विशेष महत्व है। विशेष रूप से मृत्युतुल्य कष्ट में इसका पारंपरिक अनुष्ठान किया जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगों में खास जिनका तिल भर महत्व ज्यादा है ऐसे श्री महाकालेश्वर भगवान का इस मंत्र से अभिषेक-अर्चन आदि किया जाता है। प्रस्तुत है इस परम पवित्र मंत्र का संस्कृत पाठ :
कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगमुख उदहमुखो वा उपविश्य धृतरुद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः । आचम्य । प्राणानायाम्य। देशकालौ संकीर्त्य मम वा यज्ञमानस्य अमुक कामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।