एकांतवासी आनंद में जयपुर की धार्मिक विरासत

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सिनेमा समाज का दर्पण है, यदि किसी विषय को पूरी ईमानदारी के साथ जनता के समक्ष पेश किया जाए तो समाज पर उसका असर जरूर होता है। यह मानना है युवा फिल्मकार धर्मेंद्र उपाध्याय का। दो वर्ष पहले धर्मेन्द्र ने राजस्थान में नाता प्रथा से प्रभावित बच्चों पर ‘लास्ट मदरहुड’ नामक फिल्म बनाई थी, जिसका सरकारी हलकों में भी असर हुआ और विधान सभा में भी इस समस्या पर सवाल गूंजे थे।

अब धर्मेन्द्र ने बीड़ा उठाया है आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर का गौरव वापस दिलाने का। जयपुर स्थित यह मंदिर अपनी पहचान खोता जा रहा है इसलिए उन्होंने ‘एकांतवासी आनंद’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री इस मंदिर पर बनाई है, जिसे जयपुर में होने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाएगा। इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन धर्मेन्द्र ने किया है।

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धर्मेन्द्र का कहना है कि आनंद कृष्ण बिहारी मंदिर की स्थापना राजा प्रताप सिंह के शासन काल में उनकी पत्नी आनंदी बाई ने करवाई थी। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय राजा प्रताप सिंह के मंदिर प्रांगण में ही निधन होने के कारण यह राज दरबार की उपेक्षा का शिकार हो गया।

इसी तथ्य को उन्होंने अपने वृ‍त्तचित्र में रेखांकित किया है। इसमें मंदिर की स्थापना, इतिहास और मंदिर किवदंतियों को उन्होंने दिखाया है। इस ऐतिहासिक मंदिर के इतिहास को सामने लाना उनका लक्ष्य है।

जयपुर में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके बारे में आम लोगों को ज्यादा पता नहीं है। धर्मेन्द्र मानते हैं कि यदि इन पर ध्यान दिया जाए तो धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। पहल उन्होंने की है, उम्मीद है कि उनका प्रयास सार्थक सिद्ध होगा।

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