इश्कजादे एक छोटे से शहर में गुंडागर्दी और लड़ाई के बीच पले दो लोगों की प्रेम कहानी है। वे पैदा तो नफरत करने के लिए हुए थे, लेकिन उनके भाग्य में एक-दूसरे के लिए प्रेम करना लिखा था। शक्ति और सिंहासन पाने के लिए वे दो जंगली जानवरों की तरह लड़ते हैं। एक पूरी तरह से अप्रत्याशित है तो दूसरा क्रूर। एक ऐसे लड़ाई के मैदान में वे आमने-सामने हैं जहां नफरत, बदला, छल और गोलियों की आवाज है।
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परमा (अर्जुन कपूर) की उम्र बीस वर्ष है। उम्र ही ऐसी है कि उसमें कुछ नादानी बाकी है। गुस्सा हमेशा उसकी नाक पर रहता है। परमा के आदर्श उसके दादा हैं। परमा की एक ही ख्वाहिश है कि वह अपने आपको दादा के आगे साबित करें कि वह योग्य है। अपने परिवार का नाम और ताकत का प्रदर्शन करना परमा को पसंद है। परमा के दादा अगला चुनाव लड़ने वाले हैं। अपने दादा को चुनाव जिताना परमा का एकमात्र उद्देश्य है। इसके लिए वह कुछ भी कर सकता है।
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जोया (परिनीति चोपड़ा) की उम्र भी बीस के आसपास है। वह एक राजनीतिक परिवार से है। एमएलए बनना उसका सपना है। परिवार में इकलौती लड़की होने के कारण उसे खूब लाड़-प्यार मिला है, लेकिन वह बिगड़ैल नहीं है। वह साहसी है, लेकिन साहस और बेवकूफी के अंतर से अच्छी तरह परिचित है। वह व्यावहारिक है, लेकिन कभी-कभी अपने दिल की बात भी सुन लेती है।
नफरत से जलते शहर में शक्ति और वर्चस्व की इस लड़ाई में दोनों के बीच प्रेम पनपता है।
निर्देशक के बारे में हबीब फैजल ने यशराज फिल्म्स के लिए कई फिल्मों में स्क्रीनप्ले और संवाद लिखने का काम किया है। झूम बराबर झूम (2007), बैंड बाजा बारात (2010) और लेडिस वर्सेस रिकी बहल (2011) इनमें प्रमुख हैं। हबीब चर्चा में तब आए जब उन्होंने दो दूनी चार (2010) जैसी उम्दा फिल्म लिखी। ज्यादातर लेखकों की ख्वाहिश रहती है कि वह अपनी लिखी हुई कहानी/स्क्रिप्ट पर फिल्म निर्देशित करे और ‘इश्कजादे’ से हबीब की यह इच्छा पूरी हुई। फिल्म के ट्रेलर उम्मीद जगाते हैं।