मोदी को पीएम बनते नहीं देखना चाहते ब्रिटेन के एनआरआई

बुधवार, 23 अप्रैल 2014 (09:34 IST)
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लंदन। कैम्ब्रिज एवं आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तथा लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स सहित ब्रिटेन के प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत भारतीय मूल के करीब 75 प्राध्यापकों एवं शिक्षाविदों ने एक खुला पत्र लिखकर नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। पत्र में कहा ‍गया है कि मोदी का सत्ता में आने का विचार हमें भयभीत करता है।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के प्रोफेसर चेतन भट्ट एवं गौतम अप्पा ने ब्रिटेन के वाम झुकाव वाले समाचारपत्र इंडिपेंडेंट के लिए एक खुला पत्र जारी किया।

पत्र में भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी को निशाना बनाते हुए कहा गया, 'अब जबकि भारत के लोग अगली सरकार को चुनने के मतदान कर रहे हैं, हम नरेन्द्र मोदी नीत भाजपा सरकार से भारत लोकतंत्र, बहुलतावाद एवं मानवाधिकार पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर बेहद चिंतित हैं।'

'सत्ता में मोदी का विचार हमें भयभीत करता है' शीषर्क वाले इस पत्र में कहा गया कि नरेन्द्र मोदी हिन्दू राष्ट्रवादी आंदोलन, मुख्य रूप से आरएसएस एवं संघ परिवार समूहों में रचे बसे हैं। उनका इतिहास अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने का रहा है। इनमें से कुछ समूह नागरिकों के खिलाफ हालिया आतंकवादी हमलों में आरोपी हुए हैं।

इस पत्र से पहले भारतीय मूल के लेखक सलमान रूश्दी एवं कलाकार अनीश कपूर एवं अन्य ने इस माह के शुरू में ‘‘गार्जियन’’ समाचार पत्र के नाम खुला पत्र भेजा था।

इस पत्र के अनुसार, 'गुजरात में मोदी के शासन के अधिनायकवादी प्रकृति को लेकर एक व्यापक सहमति हैं और यह बात हाल में भाजपा के भीतर अन्य वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर डाले जाने से प्रमाणित होती है। इस तरह के शासन से भारतीय लोकतंत्र कमजोर होगा।'

इसमें कहा गया कि मोदी-भाजपा के आर्थिक विकास का मॉडल सरकार का बड़े व्यापार के साथ नजदीकी संबंध कायम करता है तथा संपन्न लोगों को सार्वजनिक संसाधनों का उदारता से स्थानांतरण करता है तथा गरीबों के लिनुकसानदेह उपाय करता है। (भाषा)

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