ऑस्ट्रेलिया में 18 भारतीय हिरासत में

सोमवार, 1 जून 2009 (12:44 IST)
ऑस्ट्रेलिया में नस्लीय हमले के शिकार लोगों के लिए न्याय की माँग करते हुए रैली निकालने वाले 18 भारतीय युवकों को शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया है।

नस्लीय हमले का शिकार 25 वर्षीय भारतीय छात्र श्रवण कुमार अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। भारतीयों पर लगातार नस्लीय हमलों से आक्रोशित छात्रों ने स्थानीय समयानुसार सुबह 5.15 बजे अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया।

मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक शहर की सबसे व्यस्त सड़क को जाम करने वाले प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर उनके धरने को खत्म करने के लिए बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। मेलबोर्न में भारतीय महावाणिज्य दूत अनीता नैयर ने बताया कि छात्रों की सुरक्षा के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों के साथ हमारा लगातार विचार-विमर्श चल रहा है।

नैयर ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि बीती रात रैली में कोई छात्र घायल हुआ है। फिलहाल हिरासत में लिए गए 18 प्रदर्शनकारियों की पहचान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा मैं मानती हूँ कि हर किसी को अभिव्यक्ति का अधिकार है लेकिन ऐसा ऑस्ट्रेलिया के कानूनों के दायरे में होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों की जाँच-पड़ताल निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। शांति रैली का आयोजन फेडरेशन ऑफ इंडियन स्टूडेंट्स इन ऑस्ट्रेलिया (फेसा) और नेशनल यूनियन ऑफ स्टूडेंट्‍स जैसे निकायों ने मिलकर किया था।

भारतीय छात्रों ने रविवार को रॉयल मेलबोर्न हास्पिटल से शांति रैली की शुरुआत की थी, जहाँ श्रवण कुमार की हालत गंभीर बनी हुई है। श्रवण को बीते रविवार कुछ किशोरों ने पेंचकस घोंपकर बुरी तरह घायल कर दिया था।

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हिंसक हमले नस्लीय भावना से प्रेरित हैं। 'फेसा' के संस्थापक गौतम गुप्ता ने कहा कि व्यवधान पैदा करने वाले कुछ लोग शांति रैली में शामिल हो गए जो छात्रसंघों के सदस्य नहीं थे।

विक्टोरिया पुलिस के प्रमुख आयुक्त साइमन ओवरलैंड ने गुप्ता के दावे से सहमति जताते हुए कहा कि उत्पात मचाने वाले एक समूह का शांति रैली में शामिल होना प्रतीत होता है। साइमन ने कहा कि रैली में कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी भी शामिल थे, जो भारतीय नहीं थे और उनमें से कुछ शराब पिए हुए थे।

गौतम गुप्ता का कहना है कि भविष्य में रैलियाँ आयोजित करने की 'फेसा' की कोई योजना नहीं है। टेलीविजन चैनलों के मुताबिक पुलिस प्रमुख साइमन ओवरलैंड ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग को उचित ठहराया।

उन्होंने कहा मैंने पूरा आयोजन देखा। मुझे नहीं लगता कि बल का अनुचित प्रयोग हुआ। किसी के साथ यदि ज्यादती हुई हो तो मुझे इसका खेद है, लेकिन बल प्रयोग से पहले उन्हें निकल जाने का भरपूर अवसर दिया गया।

साइमन ने कहा कि प्रदर्शनकारी अड़ गए और बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद तितर-बितर नहीं हुए जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों ने उनसे ढेर सारे अनुरोध किए जिनमें नस्लीय हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि मारपीट करने वाले एक प्रदर्शनकारी को हिरासत में लिया गया है जबकि एक अन्य को फ्लिंडर्स स्ट्रीस्टेशन पर खिड़कियों से चीजें फेंकने के आरोप में तलब किया गया है।

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