खुद पर विश्वास करके सफलता हासिल करने की कई कहानियाँ हैं, जो आम आदमी को जीवन में संघर्ष करके सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले संस्करण में जब कमजोर मानी जाने वाली राजस्थान रॉयल्स टीम ने खिताब पर कब्जा किया तो कई मैनेजेमेंट गुरुओं ने इसे मैनेजेमेंट प्रोग्राम के लिए केस स्टडी के तौर पर लिया।
आईपीएल सीजन-2 के फाइनल में वे दो टीमें पहुँचीं जो पिछले सीजन में अंक तालिका में सबसे नीचे थीं। अपनी गलतियों से सबक लेकर दोनों टीमों ने अपने खेल में सुधार किया और नतीजा सबके सामने है। उतार-चढ़ाव से गुजरकर जिस तरह डेक्कन चार्जर्स और रॉयल चैलेंजर्स ने सफलता की कहानी लिखी है, उससे कई सबक लिए जा सकते हैं। हालाँकि रॉयल चैलेंजर्स टीम खिताब से सिर्फ एक कदम दूर रह गई, लेकिन दिग्गज टीमों के बीच फाइनल में जगह बनाना रॉयल चैलेंजर्स की बड़ी उपलब्धि है।
आईपीएल-2 खिताब जीतने के लिए जितनी तारीफ डेक्कन चार्जर्स की की जानी चाहिए, उतनी ही प्रशंसा की हकदार टीम बेंगलुरु रॉयल चैलेंजर्स भी है। दोनों ही टीमों के कप्तान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों ने गजब की फॉर्म दिखाई।
एडम गिलक्रिस्ट और अनिल कुंबले दोनों ही अपनी-अपनी टीमों को अच्छा खेलने के लिए प्रेरित करने में सफल रहे। डेक्कन चाजर्स को आईपीएल की सबसे ताकतवर टीमों में से एक माना गया है, लेकिन पिछले साल सभी खिलाड़ी एक साथ फेल हो गए थे, जिससे टीम पिछड़ गई थी। दूसरी तरफ बेंगलुरु रॉयल चैलेंजर्स टीम को 'टेस्ट टीम' कहकर उसका मजाक बनाया गया था। दोनों टीमों के लिए चारों तरफ आलोचनाएँ थीं, लेकिन उन्हें खुद पर यकीन था।
डेक्कन चार्जर्स और बेंगलुरु रॉयल चैलेंजर्स की सफलता से कई लोग प्रेरित हो सकते हैं। इन दोनों टीमों की सफलता की कहानी हमें सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में धैर्य रखकर अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं।