इंडियन प्रीमियर लीग की जबर्दस्त कामयाबी के मद्देनजर क्या क्रिकेट का यह लघुतम स्वरूप टेस्ट और एक दिवसीय क्रिकेट के लिए धीमा जहर साबित होने जा रहा है।
इस मसले पर खिलाड़ियों की राय एक जैसी नहीं है। उनका हालाँकि यह कहना जरूर है कि भले ही ट्वेंटी-20 क्रिकेट कितना भी कामयाब हो जाए, लेकिन पाँच दिवसीय क्रिकेट की दिलकशी नहीं छीन सकता।
आईपीएल ने आईसीसी के कैलेंडर में जगह माँगी है ताकि सभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर भविष्य में इसके लिए उपलब्ध हो सकें। तभी से यह चिंता भी जताई जा रही है कि टेस्ट और वनडे क्रिकेट पर इसका क्या असर होगा।
इमरान खान और वसीम अकरम जैसे दिग्गजों को भय है कि दर्शक अब ट्वेंटी-20 क्रिकेट को टेस्ट पर तरजीह देंगे। वहीं मार्टिन क्रो और सचिन तेंडुलकर का मानना है कि खेल को वैश्विक स्वरूप देने वाले इस प्रारूप को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इमरान ने कहा आईपीएल दर्शनीय है। लेकिन यह टेस्ट क्रिकेट की मौत भी साबित हो सकता है।
वहीं अकरम ने कहा कि खिलाड़ी आईपीएल जैसे टूर्नामेंटों में भारी कमाई के लिए अब अंतरराष्ट्रीय कैरियर को जल्द तिलांजलि देने लगेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि टेस्ट क्रिकेट भले ही इस क्षणिक तूफान को झेल जाए लेकिन वनडे क्रिकेट नहीं झेल सकेगा।
अकरम ने कहा मुझे डर है कि यदि आईसीसी ने दखल नहीं दिया तो यह गंभीर समस्या हो सकती है क्योंकि इसमें होने वाली मोटी कमाई के लालच में खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय कैरियर को अलविदा कह सकते हैं।
उन्होंने कहा टेस्ट क्रिकेट कायम रहेगा लेकिन वनडे क्रिकेट को बचाने के लिए आईसीसी को कोई तरीका तलाशना होगा। वहीं पूर्व टेस्ट क्रिकेटर एस वेंकटराघवन ने कहा कि ट्वेंटी-20 क्रिकेट भले ही हिट हो लेकिन टेस्ट क्रिकेट कभी नहीं मरेगा क्योंकि यही क्रिकेटर की प्रतिभा का असली मापदंड है।
उन्होंने कहा ट्वेंटी-20 क्रिकेट हिट रहा है और आगे भी रहेगा लेकिन टेस्ट क्रिकेट सर्वोपरि है। इसकी कामयाबी के लिए आयोजक बधाई के पात्र हैं और टाइमिंग ने इसको पारिवारिक दर्शकों से जोड़ दिया।
पूर्व टेस्ट कप्तान अजीत वाडेकर और चेन्नई सुपर किंग्स के ब्रांड दूत क्रिस श्रीकांत का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को नुकसान पहुँचाने की बजाय ट्वेंटी-20 क्रिकेट फायदेमंद ही साबित हो सकता है। इससे क्रिकेट परिणामोन्मुखी और दिलचस्प होगा।
न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो का भी मानना है कि आईपीएल से नुकसान की बजाय फायदे अधिक होंगे। इससे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एक दूसरे के करीब आएँगे और खुद को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। सचिन तेंडुलकर ने भी कहा है कि खेल के तीनों प्रारूप एक साथ बने रह सकते हैं।