जुलाई माह से मुस्लिम त्योहारों की एक लंबी श्रृंखला शुरू होने वाली है, जो करीब छह माह तक जारी रहेगी। कूंडे के एक छोटे त्योहार से शुरू होकर यह सिलसिला मुहर्रम तक चलेगा। इस दौरान ईद जैसे बड़े त्योहार भी अपनी रौनक फैलाएँगे।
कब कौन-सा त्योहार : वैसे तो इस्लामिक मुल्कों में रमजान, ईद और बकरीद के अलावा किसी त्योहार की मान्यता नहीं है, लेकिन हिन्दुस्तान में प्रचलित अलग-अलग रिवाजों के चलते हर छोटे-बड़े मौके को एक त्योहार की शक्ल दे दी गई है। यही वजह है कि यहाँ हर माह कोई न कोई त्योहार होता है। जुलाई माह से मुस्लिम त्योहारों का सिलसिला शुरू होगा, जो दिसंबर तक जारी रहेगा। कूंडों का त्योहार : इस त्योहार के दौरान मालवा-निमाड़ में इसकी खासी धूम रहती है। इस्लामी माह रज्जब की 22 तारीख को ईमाम जाफर के नाम की फातेहा दिलाई जाती है। रिवाज खीर और पूरी को मिट्टी के कूंडे में भरकर खिलाने का है, इसलिए इस त्योहार का नाम कूंडे पड़ गया है। लोग अपनी मन्नतों को लेकर तरह-तरह के पकवान से कूंडे भरते हैं।
शब-ए-बरात : पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम हैं।
माह-ए-रमजान : रमजान माह का चाँद 12 अगस्त को दिखाई देने की उम्मीद है, जिसके मुताबिक 13 अगस्त को इसकी पहली तारीख होगी। इबादत, तिलावत और खैरात का यह त्योहार तीस दिन तक चलेगा। इस दौरान मुस्लिम धर्मावलंबी दिन में रोजा रखेंगे और रात को नमाज और तरावीह का पालन करेंगे।
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ईद-उल-फितर : पूरे माह के रोजों और इबादतों के ईनाम के रूप में अल्लाह ने बंदों को ईद का त्योहार अता किया है। ईद-उल-फितर को मीठी ईद या सिवइयों की ईद भी कहा जाता है। शीरखुरमा के सेवन के साथ हुई ईद की शुरूआत नमाज अदा करने, गले मिलकर मुबारकबाद देने, ईदी देने-लेने तक जारी रहती है।
हज-ए-बैतुल्लाह : हजयात्रियों की रवानगी का सिलसिला अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में शुरू हो जाएगा। 45 दिनी हजयात्रा पर जाने वालों के हज के अरकान पूरे होते हुए 16 नवंबर को हज मुकम्मल हो जाएगा।
ईद-उल-अजहा : हज पूरा होने के दो दिन बाद ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाएगा। इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। नमाज-ए-ईद के बाद कुर्बानी दी जाती है।
मुहर्रम : ईदुज्जुहा के 20 दिनों बाद मुहर्रम का चाँद दिखाई देगा। 7 दिसंबर को मुहर्रम की पहली तारीख होगी और दस दिन तक यह त्योहार चलता रहेगा। 17 दिसंबर को ताजियों का जुलूस कर्बला पहुँचेगा और इसी दिन इन्हें दफन किया जाएगा।
त्योहार की तारीखें :- कूंडों का त्योहार 05 जुलाई शब-ए-बरात 27 जुलाई माह-ए-रमजान 12 अगस्त ईद-उल-फितर 11 सितंबर हज-ए-बैतुल्लाह 16 नवंबर ईद-उल-अजहा 18 नवंबर मुहर्रम 17 दिसंबर