हेतु- धर्म में स्थिरता प्राप्त होती है। भय दूर होते हैं।
नित्योदयं दलित-मोह-महान्धकारं गम्यं न राहु-वदनस्य न वारिदानाम् । विभ्राजते तव मुखाब्जमनल्पकांति विद्योतयज्जगदपूर्व-शशाङᄉ-बिम्बम् ॥ (18)
महामोह के गाढ़े तिमिर को चीरने वाला यह आपका वदन-कमल चाँद जैसा खूबसूरत एवं मोहक है! फिर यह चाँद भी ऐसा कि जिसे न तो बदली की ओट ढाँप दे और न ही राहु का आवरण छूने पाए।