ऑस्ट्रेलिया की नजरें फाइनल पर

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009 (19:04 IST)
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पाकिस्तान पर अंतिम गेंद में जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद ऑस्ट्रेलिया शुक्रवार को जब चैम्पियन्स ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड का सामना करेगा तो उसे अपनी बल्लेबाजी की कमजोरियों से उबरना होगा।

बुधवार को पाकिस्तान के 206 रनों के लक्ष्य का का पीछा कर रहे ऑस्ट्रेलिया का मध्यक्रम लड़खड़ा गया था और बेहतर स्थिति में होने के बावजूद उसे सेमीफाइनल में पहुँचने के लिए संघर्ष करना पड़ा। कप्तान रिकी पोंटिंग को सुनिश्चित करना होगा कि उनकी टीम सेमीफाइनल में इस गलती को नहीं दोहराए।

ऑस्ट्रेलिया ने हाल में इंग्लैंड पर उसकी सरजमीं में एकदिवसीय श्रृंखला में 6-1 से आसान जीत दर्ज की थी और पोंटिंग ने उम्मीद जताई कि उनकी टीम इस श्रृंखला से प्रेरणा लेगी और सेमीफाइनल में इसी तरह का प्रदर्शन करेगी।

पोंटिंग ने कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ वहाँ हमारी श्रृंखला काफी अच्छी रही, लेकिन यहाँ हालात अलग हैं और मुझे लगता है कि वे काफी अच्छा क्रिकेट खेल रहे हैं। हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम शुक्रवार को अगले मैच में अच्छा खेलें।

कागज पर ऑस्ट्रेलियाई टीम में कोई कमजोरी नजर नहीं आती लेकिन शुक्रवार के मैच में स्तरीय गेंदबाजी के खिलाफ उनकी कमजोरी उजागर हुई विशेषकर अंतिम ओवरों में। अब तक ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष क्रम ने अच्छा प्रदर्शन किया है और टिम पेन, पोंटिंग और माइक इसी ने टीम को राह दिखाई है। हालाँकि सलामी बल्लेबाज शेन वॉटसन की खराब फॉर्म टीम के लिए परेशानी का सबब हो सकती है।

इसके अलावा मध्यक्रम के अहम बल्लेबाज माइकल क्लार्क की कमी भी टीम को खल सकती है जिसका लक्ष्य लगातार दूसरी बार इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के फाइनल में जगह बनाना है। क्लार्क पीठ में चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं।

क्लार्क की गैरमौजूदगी में डेविड हसी को खुद को साबित करने और टीम में अपनी जगह दोबारा हासिल करने का मौका मिला है, विशेषकर तब जब टीम को हाल में भारत के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला में हिस्सा लेना है।

गेंदबाजों में मिशेल जॉनसन, वॉटसन और ब्रेट ली ने अपनी स्विंग और तेजी से विरोधी बल्लेबाजों को परेशान किया है, जबकि नाथन हारिट्ज की फिरकी का जादू भी खूब चला है।

दूसरी तरफ इंग्लैंड ने पहले दो मैचों में जीत दर्ज की लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ अंतिम मैच में शिकस्त का सामना करना पड़ा। हालाँकि कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने इस हार के लिए खराब पिच को जिम्मेदार ठहराया लेकिन उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी चरमराए नहीं।

पॉल कॉलिंगवुड और ओवैस शाह इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं, लेकिन कप्तान स्ट्रॉस स्वयं रन बनाने के लिए जूझ रहे हैं। हालाँकि रवि बोपारा और युवा इयान मोर्गन ने उम्मीद जगाई हैं। गेंदबाजों में स्टुअर्ट ब्रॉड ने टूर्नामेंट में दस विकेट लिए हैं और वे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं। जेम्स एंडरसन सात विकेट के साथ चौथे नंबर पर हैं। इंग्लैंड को हालाँकि अदद स्पिनर की कमी खल रही है, क्योंकि ग्राहम स्वान अब तक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं और स्ट्रॉस को आशा होगी कि वह सेंचुरियन की धीमी पिच पर फॉर्म में वापसी करेंगे।

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